हाय राम क्या करे जी कोई ...जवाब चाहिए
उत्तर जहां से अब तो कुछ लाजवाब चाहिए
लौकी आलू भिण्डी टमाटर लड़ते हैं बाजार में
इस दिवाली हमको ही इक खिताब चाहिए
पटाखों फुलझड़ी को देख बच्चे मचल रहे हैं
टूटी आस लिए वो पूछें कितने बेताब चाहिए
मजबूरियों में निःशब्द बाप आंसू बहा रहे हैं
फीकी जेब तेज हाट में माथों पर आब चाहिए
लड्डू बर्फ़ी रसगुल्ला हमसे यूँ अब दूर हुए
मिश्री घोलें रिश्तों में मिठास बेहिसाब…
ContinueAdded by anand murthy on October 21, 2014 at 5:00pm — No Comments
आज मौसम ....बड़ा आशिकाना है
शब्द के मोतियों से उन्हें सजाना है
हर्फ़ में ही सही तस्वीर बनाई बहुत
कहीं और जिनका अब ठिकाना है
जिसकी खातिर यहाँ रातें बिताई बहुत
उनका इधर से यूँ रोज आना जाना है
ख्वाब में डाल पर झूले झूलेंगे हम
घर मेरे सावन का यूँ आना जाना है
स्वप्न में आकर फ़िर से लुभाओ प्रिय
जहाँ न मेरा न तेरा कोई बहाना है
कैसे कह दूँ उन्हें प्यार करता नहीं
पहले दीदार…
ContinueAdded by anand murthy on October 11, 2014 at 11:58pm — 3 Comments
एक छतरी है जो याद मुझको बहुत आती है|
चुनरी पालने की याद मुझको रोज आती है |।
सुधियों से परिपूर्ण,सुध बचपन की आती है |
अंगने के झूले की,याद उस उपवन की आती है|।
सायबान की छाया में ..पालने की गोदी में.......
हरकतों पर मेरी दूर खड़ी माँ खूब मुस्कुराती है।।
चुटकियों से माँ, मेरे चेहरे पर सरगम सजाती है |
डूबकर मेरी किलकारियों में ,हर गम भूल जाती है|।
माँ मुझे पालना झुलाती है ,कभी गोदी में हिलाती है…
ContinueAdded by anand murthy on October 8, 2014 at 4:30pm — 4 Comments
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