For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sushil Sarna's Blog – August 2023 Archive (6)

वरिष्ठ नागरिक दिवस पर चन्द दोहे .....

वरिष्ठ नागरिक दिवस के अवसर पर चन्द दोहे : ....

दृग जल हाथों पर गिरा, टूटा हर अहसास ।

काया  ढलते ही लगा, सब कुछ था आभास ।।

जीवन पीछे रह गया, छूट गए मधुमास ।

जर्जर काया क्या हुई, टूट गई हर  आस ।।

गिरी लार परिधान पर, शोर हुआ घनघोर ।

काया पर चलता नहीं, जरा काल में जोर ।।

लघु शंका बस में नहीं, थर- थर काँपे हाथ ।

जरा काल में खून ही , छोड़ चला फिर साथ ।।

वृद्धों को बस दीजिए , थोड़ा सा सम्मान ।

अवसादों को…

Continue

Added by Sushil Sarna on August 21, 2023 at 2:45pm — 4 Comments

लघुकथा -सीख

सीख ......

"पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की टाँगें दबाते हुए पूछा ।

"कुछ मत पूछ बेटा । हर तरफ मार काट, भागम-भाग ,     हर तरफ चीखें  ही चीखें  थी । हमने थोड़े से गहने  और सामान बाँधा और सब कुछ छोड़ कर निकल लिए ।" पापा ने कहा ।

"आप सुरक्षित कैसे निकले "। सुशील ने पूछा ।

"ह्म्म । बेटे!सन् 1947 के विभाजन में  सम्भव नहीं था वहाँ से सुरक्षित निकलना । उसी कौम का  एक  इंसान फरिश्ता बन कर हमारी मदद को आया और किसी तरीके से बचते बचाते…

Continue

Added by Sushil Sarna on August 19, 2023 at 4:49pm — 7 Comments

दोहा त्रयी : मजबूर

दोहा त्रयी. . . . मजबूर

आँखों से ही दूर है, अब  आँखों का नूर ।
बदले इस परिवेश में, ममता है मजबूर ।।

वर्तमान ने दे दिया, माना धन भरपूर ।
लेकिन कितना कर दिया, मिलने से मजबूर ।।

धन अर्जन करने चला, सात समंदर पार ।
मजबूरी ने कर दिया, सूना घर संसार ।।

सुशील सरना / 18-8-23

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Added by Sushil Sarna on August 18, 2023 at 3:08pm — 4 Comments

चौपाई छंद - जीवन

चौपाई छंद - जीवन

जीवन का जो  मर्म  न  जाने ।

दर्द किसी  के  क्या  पहचाने ।।

जग में  निष्ठुर  वो  कहलाता ।

जो साँसों को समझ न पाता ।1।

*

         यौवन के जब दिन हैं आते ।

         आँखों  में   सपने  लहराते ।।

          रातें  लगतीं   सदा  सुहानी ।

          हर पल लिखता नई  कहानी ।2।

*

यादों   का  है  दिल  से  नाता ।

दिल आँसू को  सदा छिपाता ।।

आँखों  में  रातें  छिप   जातीं ।

कह न व्यथा अन्तस की पातीं ।3।

*

          …

Continue

Added by Sushil Sarna on August 12, 2023 at 2:41pm — 2 Comments

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक

खुद पर खुद का जब नहीं, चलता कोई जोर ।

निर्णय  उस  इंसान के , पड़ जाते कमजोर ।।

जीवन मधुबन ही नहीं, यहाँ फूल अरु शूल ।

सुख के पथ पर है पड़ी , यहाँ दुखों की धूल ।।

रिश्ते कागज पुष्प से, हुए आज निर्गंध ।

तार -तार सब हो गए, रेशम से अनुबंध ।।

कौन यहाँ पर पारसा, किसे कहें हम चोर ।

सच्चाई की राह में, मचा झूठ का शोर ।।

मीठी लगती चाँदनी, तीखी लगती धूप ।

ढल जाएगा एक दिन, चाँदी जैसा रूप…

Continue

Added by Sushil Sarna on August 4, 2023 at 1:06pm — 2 Comments

दोहा त्रयी - बदनाम

दोहा त्रयी : बदनाम

उल्फत में रुसवा हुए, मुफ्त हुए बदनाम ।
आँसू आहों का मिला , इस दिल को  ईनाम ।।

शमा जली महफिल सजी, चले  जाम पर जाम ।
रिन्दों ने की मस्तियाँ, शाम हुई बदनाम ।।

वफा न जाने बेवफ़ा ,क्या उस पर इल्जाम ।
खाया फरेब इस तरह, इश्क हुआ बदनाम ।।

सुशील सरना / 3-8-23

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Added by Sushil Sarna on August 3, 2023 at 1:59pm — No Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Tuesday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service