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धर्मेन्द्र कुमार सिंह's Blog – August 2013 Archive (4)

ग़ज़ल : ध्यान रहे सबसे अच्छा अभिनेता है बाजार

बह्र : मुस्तफ़्फैलुन मुस्तफ़्फैलुन मुस्तफ़्फैलुन फा

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छोटे छोटे घर जब हमसे लेता है बाजार

बनता बड़े मकानों का विक्रेता है बाजार

 

इसका रोना इसका गाना सब कुछ नकली है

ध्यान रहे सबसे अच्छा अभिनेता है बाजार

 

मुर्गी को देता कुछ दाने जिनके बदले में

सारे के सारे अंडे ले लेता है बाजार

 

कैसे भी हो इसको सिर्फ़ लाभ से मतलब है

जिसको चुनते पूँजीपति वो नेता है बाजार

 

खून पसीने से अर्जित पैसो के…

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Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 30, 2013 at 7:09pm — 15 Comments

ग़ज़ल : कोई चले न जोर तो जूता निकालिये

बह्र : मफऊलु फायलातु मफाईलु फायलुन (221 2121 1221 212)

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चंदा स्वयं हो चोर तो जूता निकालिये

सूरज करे न भोर तो जूता निकालिये

 

वेतन है ठीक  साब का भत्ते भी ठीक हैं

फिर भी हों घूसखोर तो जूता निकालिये

 

देने में ढील कोई बुराई नहीं मगर

कर काटती हो डोर तो जूता निकालिये 

 

जिनको चुना है आपने करने के लिए काम

करते हों सिर्फ़ शोर तो जूता निकालिये

 

हड़ताल, शांतिपूर्ण प्रदर्शन, जूलूस तक

कोई…

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Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 22, 2013 at 9:54pm — 29 Comments

ग़ज़ल : थका तो हूँ मगर हारा नहीं हूँ

बह्र : मुफाईलुन मुफाईलुन फऊलुन

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न ऐसे देख बेचारा नहीं हूँ

थका तो हूँ मगर हारा नहीं हूँ

 

है मुझमें रौशनी, गर्मी नहीं पर

मैं इक जुगनू हूँ अंगारा नहीं हूँ

 

यकीनन संगदिल भी काट दूँगा

तो क्या जो बूँद हूँ धारा नहीं हूँ

 

सभी को साथ लेकर क्यूँ मिटूँगा?

मैं शबनम हूँ कोई तारा नहीं हूँ

 

हवा भरना तुम्हारा बेअसर है

मैं इक रोटी हूँ गुब्बारा नहीं हूँ

 

मेरी हर बात…

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Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 17, 2013 at 10:08pm — 35 Comments

ग़ज़ल : न गाँधी से न मोदी से न खाकी से न खादी से

बह्र : १२२२ १२२२ १२२२ १२२२

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न गाँधी से न मोदी से न खाकी से न खादी से

वतन की भूख मिटती है तो होरी की किसानी से

 

ये फल दागी हैं मैं बोला तो फलवाले का उत्तर था

मियाँ इस देश में सरकार तक चलती है दागी से

 

ख़ुदा के नाम पर जो जान देगा स्वर्ग जायेगा

ये सुनकर मार दो जल्दी कहा सबने शिकारी से

 

ये रेखा है गरीबी की जहाजों से नहीं दिखती

जमीं पर देख लोगे पूछकर अंधे भिखारी से

 

चुने जिसको, सहे उसके…

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Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 13, 2013 at 11:00pm — 40 Comments

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Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
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