एक प्रयास
(बहर- 2122 2122 2122)
लक्ष्य क्या जो खोजते हम दौड़ते हैं।
है कहाँ ये आज तक ना जानते हैं।।
ढूंढ साधन,साधने को लक्ष्य सोंचा,
ना सधा ये,सब 'स्व' को ही रौंदते हैं।
जग छलावे में भटकते इस तरह हम,
शांति के हित शांति खोते भासते हैं ।
*समर्पण हो पूर्ण,या लब सीं लिए हों,
क्या शिला भी प्रेम को पा सीलते हैं?
ना पहुंचू पर मुझे हो भान तो वह,
तब बढेंगे, आज तो बस खोजते हैं ।।
*संशोधित …
Added by Vindu Babu on July 18, 2013 at 5:00am — 22 Comments
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