मुक्तक
(आम आदमी)
1.सारी फिक्रें अभी उलझी हुईं हैं एक सदमें में
मैं मर जाऊँ तो क्या !मैं खो जाऊँ तो क्या !
2.मैं रोज़ मरता हूँ कोई हंगामा नहीं होता
सब सदमानसी है मुमताज़ की खातिर |
(इस्तेमाल )
3.खम गज़ल लिखता हूँ दिल तोड़ कर उसका
हुनर ज़ीना चढ़ता है बुलंदी हासिल होती है |
(वापसी )
4.शराब ने टूटकर घर का पानी गंगा कर दिया
उसने कपड़े उतारे मेरी सोच को नंगा कर दिया |
…
ContinueAdded by somesh kumar on February 27, 2018 at 10:58am — 5 Comments
दो जिस्मों के मिलने भर से
दो जिस्मों के मिलने भर से
प्यार मुकर्रर होता तो
टूटे दिल के किस्सों का
दुनियाँ में बाज़ार न होता
सागर की बाँहों में जाने
कितनी नदियाँ खो जाती हैं
एक मिलन के पल की खातिर
सदियाँ तन्हा हो जाती हैं
तस्वीरें जो भर सकती
इस घर के खालीपन को
उसके आने की खुशबू से
दिल इतना गुलज़ार ना होता |
दो जिस्मों के मिलने भर से---
बाँहों में कस लेना…
ContinueAdded by somesh kumar on February 26, 2018 at 12:41pm — 6 Comments
पर मोहब्बत---
वह आदमी जो अभी-अभी
मेरे जिस्म से खेल कर
बेपरवाह उघड़ के सोया है
और जिसके कर्कश खर्राटे
कानों में गर्म शीशे से चुभते है
और जो नींद में भी अक्सर
मेरी छातियों से खेलता है
सिर्फ मेरी बात करता है
मैं उससे नफ़रत तो नहीं करती
पर मोहब्बत ----------------
मेरी तकलीफ़ उसे बर्दाश्त नहीं
एक खाँसी भी उसकी साँस टाँग देती है
मेरे आँसू सलामत रहें इसलिए
वो प्याज काटने लगा…
ContinueAdded by somesh kumar on February 24, 2018 at 10:31pm — 5 Comments
उस औरत की बगल में लेट कर
सोचता हूँ तुम्हारे बारे में अक्सर
रोज जिंदगी का एक पेज भरा जाता है
दिमाग अधूरे पेज़ पर छटपटाता है
सोचता हूँ अगर वह औरत तुम होती
तो कहानी क्या इतनी भर होती !
या तब भी अटका होता किसी अधूरे पन्ने पर
भटक रहा होता पूरी कहानी की तलाश में |
सोचता हूँ इस कहानी के अंत के बारे में
सोचता हूँ उस अनन्त के बारे में
सोचता हूँ प्यार अगर अधूरेपन की तलाश है
तो ये कहानी कभी पूरी ना हो !
कई बार एक…
ContinueAdded by somesh kumar on February 23, 2018 at 9:30am — 4 Comments
ख्याल-1
1 तुम मेरी ज़िन्दगी से निकल जाओ
तुम्हारे रहते दिल सम्भाला ना जाए
रोशनी कोई कैसे कोई जले अंगने में
यादों का जब तक उजाला ना जाए
खुशबुएँ तर हो महके कोना कोना
किताबों से वो फूल निकाला ना जाए
प्यार है उसे रिश्ते का नाम ना दो
सितम हद करे नाम उछाला ना जाए |
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ख्याल-2
यूँ जो चुपके से तुम अब भी बात करती हो
मुझे महसूस होता है अब भी…
ContinueAdded by somesh kumar on February 22, 2018 at 11:32am — 3 Comments
यकीन
यही सोच कर रुठीं हूँ मना लेगा वो
गलतफहमियाँ जो हैं मिटा देगा वो
प्यार से खींचकर भींच लेगा मुझे
गलतियाँ जो की हैं भुला देगा वो |
पहली गुफ्तगू
पहला जाम पी लिया खोलकर ये दिल
जाम की आरज़ू है तू रोज़ यूँ ही मिल
मझधार में भटकी सफीना दूर है साहिल
बन जा पतवार मेरी ले चल मुझे मंजिल
बुढ़ा
वो जो एक शख्स झुका-झुका सा बैठा है
उसकी पीठ पर यह घर टिका बैठा है
छातियाँ…
ContinueAdded by somesh kumar on February 16, 2018 at 11:31pm — 5 Comments
“भाई अरविन्द ,कब तक ताड़ते रहोगे ,अब छोड़ भी दो बेचारी नाजुक कलियाँ हैं |”
“मैंsए ,नहीं तो -----“
वो ऐसे सकपकाया जैसे कोई दिलेर चोर रंगे हाथों पकड़ा जाए और सीना ठोक कर कहे –मैं चोर नहीं हूँ |
“अच्छा तो फिर रोज़ होस्टल की इसी खिड़की पर क्यों बैठते हो ?”
“यहाँ से सारा हाट दिखता है |”
“हाट दिखता है या सामने रेलवे-क्वार्टर की वो दोनों लडकियाँ --–“
“कौन दोनों !किसकी बात कर रहे हो !देखों मैं शादी-शुदा हूँ ---और तुम मुझसे ऐसी बात कर रहे हो –“ उसने बीड़ी को झट से…
ContinueAdded by somesh kumar on February 11, 2018 at 7:30am — No Comments
हौले से हिला कर के
नींद से जगा कर के
बहती है पवन जैसे
वो छू के गई ऐसे |
प्यारी सी एक लड़की
थी सांवले कलर की
एक ख़्वाब जगा करके
मुझे अपना बता कर के
वो छू के गई ऐसे-----
रात भर मुझे जगाना
बिन बात मुस्कुराना
सिर मेरा ही खाना
कहने पे रूठ जाना
वो छू के गई ऐसे----
दुनियाँ भली लगी थी
वो जब मुझे मिली थी
शायद थी भागवत वो
था मुझको गुनगुनाना |
वो छू के गई…
ContinueAdded by somesh kumar on February 8, 2018 at 9:30am — 4 Comments
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