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Dr. Vijai Shanker's Blog – January 2016 Archive (3)

वफ़ादार झूठ - डॉo विजय शंकर

सच किस कदर लड़ता है ,
छटपटाता है सामने आने को ,
उठने नहीं देता झूठ उसे
अपना चेहरा भर दिखाने को।
झूठ कुछ नहीं होता
कोई असलियत नहीं होती उसकी ,
फिर भी हरेक झूठ दूसरे झूठ के प्रति
वफादार बड़ा होता है
एक झूठ की मदद के लिए देखिये
सौ झूठ खड़ा होता है।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Dr. Vijai Shanker on January 21, 2016 at 9:51am — 8 Comments

शिक्षिका , प्रथम और अंतिम ( लघु - कथा ) - डॉo विजय शंकर

माँ बच्चे की प्रथम शिक्षिका होती है।
.
.
.
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और पत्नि , पति की अंतिम शिक्षिका होती है।
.
.
क्योंकि माँ बच्चे को जो सिखाती है वो वह कभी भूलता नहीं।
और पत्नि जो सिखाती है , पति वह भूल सकता नहीं।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Dr. Vijai Shanker on January 13, 2016 at 11:20am — 11 Comments

दानव शिक्षा ( लघु-कथा ) : डॉo विजय शंकर

दानव गुरु ने अपने शिष्यों को गुरु-मन्त्र दिया : स्वर्ग में सेवा करने के बजाय नर्क में शासन करना अधिक अच्छा होता है।
एक जिज्ञासु शिष्य ने एक गम्भीर प्रश्न किया : पर गुरु जी , यह तो धरती स्वयं ही स्वर्ग जैसी है तो हम कहा जाएँ ?
दानव गुरु ने तुरंत उत्तर दिया : धरती को नर्क बना दें और उस पर शासन करें।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Dr. Vijai Shanker on January 7, 2016 at 9:30am — 8 Comments

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