For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन.

ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक- 33 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.

प्रस्तुत चित्र श्री शिवकुमार कौशिकेय जी के सौजन्य से प्राप्त है.

तो आइये उठा लें अपनी-अपनी लेखनी और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण !


छंदोत्सव के नियमों में कुछ परिवर्तन किये गए हैं इसलिए नियमों को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें |

आपको पुनः स्मरण करा दें कि छंदोत्सव का आयोजन मात्र भारतीय छंदों में लिखी गयी काव्य-रचनाओं पर ही आधारित होगा. इस छंदोत्सव में पोस्ट की गयी छंदबद्ध प्रविष्टियों के साथ कृपया सम्बंधित छंद का नाम व उस छंद की विधा का संक्षिप्त विवरण अवश्य लिखें. 

ऐसा न होने की दशा में आपकी प्रविष्टि ओबीओ प्रबंधन द्वारा अस्वीकार कर दी जायेगी.

 

नोट :

(1) 20 दिसंबर 2013 तक Reply Box बंद रहेगा, 21 दिसंबर दिन शनिवार से 22 दिसंबर दिन रविवार यानि दो दिनों के लिए Reply Box रचना और टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो. रचना भारतीय छंदों की किसी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है. यहाँ भी ओबीओ के आधार नियम लागू रहेंगे और केवल मौलिक एवं अप्रकाशित सनातनी छंद की रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

 

विशेष :

यदि आप अभी तक www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बारsign up कर लें.

 

अति आवश्यक सूचना :

आयोजन की अवधि के दौरान सदस्यगण अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक के हिसाब से पोस्ट कर सकेंगे. ध्यान रहे प्रति दिन एक, न कि एक ही दिन में दो रचनाएँ.

 

रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.

 

नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.

 

सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

 

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.

 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

 

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

 

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहा...

 

मंच संचालक

सौरभ पाण्डेय

(सदस्य प्रबंधन समूह)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 12545

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय अखिलेशभाईजी, आपके दोहों से इस आयोजन का शुभारम्भ हुआ, इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई.
आपके छंद प्रयास से बहुत सुख हुआ है.
चित्र को आपने यथोचित शब्द दिये हैं. और सफल भी हुए हैं. इस रचनाकर्म पर बहुत-बहुत बधाई.

लेकिन आदरणीय यह आपने कैसे मान लिया कि इन पाँचों की कोई गलती ही नहीं रही होगी ! इतना दृढ़ आग्रह ? वह भी बार-बार कि वे ’बेचारे’.. नाहक पुलिसिया रुआब के मारे.. !
हा हा हा..  ..
भाईसाहब, कहीं छठे आप बाँह छुड़ा कर निकल तो नहीं भागे थे.. हा हा हा हा.. :-))))

वैसे, आपके छंद-प्रयास के लिए पुनः हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ. सतत प्रयासरत रहें. शिल्प और प्रस्तुति स्वयं सहज होती जायेगी.
सादर

आदरणीय सौरभ भाई,  आम पुलिस का कार्य बहुत ही नीरस , भाग दौड और चौतरफा दबाव  वाला है , इन्हें प्रशंसा और छुट्टी कम ही मिलती हैऔर वेतन भी कम।  इसलिए कुछ रूखे और चिड़चिड़े हो जाते हैं और भुगतती है आम जनता । लेकिन ये ऐसा समय ( शून्य काल )   निकाल ही लेते हैं जिसमें हँसी ठिठोली हो जाती है। यह चित्र भी मुझे शून्य काल का लगा, कुछ मिनट ही सही खाकी वर्दी वालों ने मज़ा तो लिया। जब देखे कि बच्चे गाँव के या साधारण परिवार से हैं ,कुछ मिलने वाला नहीं, तो मुर्गा बना दिया । लेकिन उन बेचारे किशोरों का सोचिए, वो तो इसे जीवन भर न भूल पायेंगे और  न मीना बाज़ार जायेंगे। (अब शायद शादी के बाद ही वो पाँचो पाण्डव जीवन साथी के साथ मीना बाज़ार देख पायेंगे )।

रचना की प्रशंसा हृदय से करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आदरणीय सौरभ भाई।  मेरी रचनाओं पर सुझाव / सलाह देते रहिये।

छंदोत्सव के लिए इस चित्र के चयन पर शिवकुमार भाई और आपका पुनः धन्यवाद ।

ब्रेकिंग न्यूज़..... अभी- अभी यह जांनकारी मिली है कि उपरोक्त चित्र जिस व्यक्ति की पुरानी पेटी से मिला है वह स्वयं  भी पाँच पांडव में शामिल है और जान बूझकर चित्र को किसी शिवकुमार से मिला  बता रहा है ! ! ! ... शुभ- शुभ और सप्रेम राधे-राधे,

हा हा हा हा... .

गणॆशभाईजी का नाम शिव कुमार कबसे हो गया.. !!!

जय हो..

:-))))))))

अब हई तमाशा देखs :-))))))))))

ऊँ नम: शिवाय............श्री गणेशाय नम:...........

आदरणीय एडमिन जी / सौरभ भाई .....// दोहा क्र. 4 एवं 5 में संशोधन हेतु अनुरोध

 दोहा क्र. 4 एवं 5 निम्नानुसार संशोधित करने की कृपा करें।

चुस्त जीन्स तकलीफ दे, मुर्गा बना न जाय। 

हाय हमारी  पीर पर,  कोई तरस न खाय ॥

 

 

मजा करें सब टेन्ट में, तन कोमल झुलसाय।

गुंडो से  डरती पुलिस , सब पर रोब जमाय॥      ........ धन्यवाद

 

चित्र को आपने एक अलग कोण से देखने का प्रयास किया है, दोहो पर बढ़िया काम हुआ है, पुछल्ला भी अच्छा लगा, बहुत बहुत बधाई आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी |

आदरणीय गणेश भाई, रचना की प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद और आभार।

आदरणीय अखिलेश जी 

बहुत सुन्दर प्रयास हुआ है दोहा छंद पर... और हर दोहा चित्र को सुन्दरता से परिभाषित करता हुआ..

पुलिस द्वारा निर्दोषों को सज़ा दिए जाना एक नया आयाम दे रहा है प्रस्तुति को.. 

आप छोटी छोटी चीज़ों पर भी गौर कर गए,..जैसे मीना बाज़ार, जींस के कारण मुर्गा बनने में तक्लीफ और घर पर यदि बात पहुँची तो वहां भी मार पड़ेगी सो अलग.... तो कथ्य कुल मिला कर बहुत पसंद आया ..जिसके लिए बहुत बहुत बधाई.

दोहा छंद के शिल्प को यादि देखें तो आपने हर दोहा 13-11 पर ही साधा है..सम चरण के अंत में पताका और विषम का अंत भी 111 या 12 से ही हुआ है 

फिर भी , इन दो दोहों में आतंरिक शब्द संयोजन के कारण गेयता बाधित हो रही है.

जींस में तकलीफ बहुत, मुर्गा बना न जाय।
कौन समझे दर्द कहाँ, कोई तरस न खाय॥

 

टेंट में सब मज़ा करें, किशोर तन झुलसाय।
गुंडो से डरती पुलिस, सब पर रोब जमाय॥

पिछले आयोजन (ओबीओ चित्र से काव्य तक अंक -३२) में पृष्ठ संख्या 5 पर आतंरिक शब्द संयोजन पर सम्यक चर्चा हुई है आप वहा से गेयता बाधित क्यों हो रही है इस बारे में जानकारी ले सकते हैं...(मैं लिंक भी दे रही हूँ)

http://www.openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/32?groupUrl=p...

सादर शुभकामनाएं 

आदरणीया प्राचीजी , दोहे की प्रशंसा और उस पर विस्तृत  टिप्पणी और सुझाव  के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद।

आपका कथन सही है, गेयता बाधित हो रही है.। जितना भी लिख पाया  हूं वह ओबीओ में आप सभी के सुझाव और उत्साहवर्धन से सम्भव हुआ है। अच्छा करने का प्रयास जारी है। दोहों पर विशेष ध्यान देने के लिए  पुनः धन्यवाद और आभार। 

जींस में तकलीफ बहुत, मुर्गा बना न जाय।
कौन समझे दर्द कहाँ, कोई तरस न खाय॥

चुस्त जीन्स तकलीफ दे, मुर्गा बना न जाय 

हाय हमारी पीर पर,कोई तरस न खाय 

 

टेंट में सब मज़ा करेंकिशोर तन झुलसाय।
गुंडो से डरती पुलिस, सब पर रोब जमाय॥

मजा करें सब टेन्ट में, तन कोमल झुलसाय

गुंडो से डरती पुलिस, सब पर रोब जमाय॥

विकल्प के तौर पर एक नजर देखिये आदरणीय.............

आदरणीय अरुण भाई , बारम्बार  धन्यवाद ।  आदरणीय  सौरभ भाई / एडमिन महोदय को आवश्यक संशोधन के लिए अनुरोध कर रहा हूँ।.... आभार ।  

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service