For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव " अंक-22

आदरणीय साथियो !

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-22 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है |  प्रस्तुत चित्र अभी हाल में ही दिल्ली में हुए एक अत्यंत शर्मनाक कृत्य के विरूद्ध जनता द्वारा किये गए प्रदर्शन पर आधारित है | अब आप सभी को इसका काव्यात्मक मर्म चित्रित करना है !

*चित्र गूगल से साभार

जहाँ दानवी भूख हो, संस्कार हों लुप्त.
वहीं भयानक 'वेदना', हुई 'दामिनी' मुक्त..
अपराधी बेख़ौफ़ हैं, सुप्त लगे सरकार.
पैशाचिक दुष्कर्म को, फाँसी ही दरकार..

तो आइये, उठा लें अपनी-अपनी लेखनी, और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण, और हाँ.. आपको पुनः स्मरण करा दें कि ओ बी ओ प्रबंधन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि यह छंदोत्सव सिर्फ भारतीय छंदों पर ही आधारित होगा, कृपया इस छंदोत्सव में दी गयी छंदबद्ध प्रविष्टियों से पूर्व सम्बंधित छंद के नाम व प्रकार का उल्लेख अवश्य करें | ऐसा न होने की दशा में वह प्रविष्टि ओबीओ प्रबंधन द्वारा अस्वीकार की जा सकती है |


नोट :-
(1) १७ जनवरी तक तक रिप्लाई बॉक्स बंद रहेगा, १८ से २० जनवरी तक के लिए Reply Box रचना और टिप्पणी पोस्ट हेतु खुला रहेगा |

सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो, रचना मात्र भारतीय छंदों की किसी भी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है | हमेशा की तरह यहाँ भी ओबीओ के आधार नियम लागू रहेंगे तथा केवल अप्रकाशित एवं मौलिक सनातनी छंद ही स्वीकार किये जायेगें | 

विशेष :-यदि आप अभी तक www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें| 

अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव"  अंक-२२  , दिनांक १८ जनवरी से २० जनवरी  की मध्य रात्रि १२ बजे तक तीन दिनों तक चलेगा  जिसके अंतर्गत इस आयोजन की अवधि में प्रति सदस्य अधिकतम तीन पोस्ट अर्थात प्रति दिन एक पोस्ट दी जा सकेंगी, नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी |

मंच संचालक:
अम्बरीष श्रीवास्तव

Views: 11236

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

भ्राता नीरज का छंद पढ़ा, है शब्द चित्र क्या खूब गढ़ा

आक्रोश दिखा है जोश दिखा,आवेग हृदय में खूब बढ़ा

कानून व्यवस्था की चिंता,परिवर्तन निश्चित लायेगी

इस आशा में है कवि का मन, वह सुबह कभी तो आयेगी ||

बहुत खूब आदरणीय अरुण जी | सुंदर प्रतिक्रिया छंद |

परम आदरणीय अग्रज अरुण निगम जी आप ने मेरी रचना को पसंद किया आपका आभार --आप का अपना ही --नीरज  

क्या खूब आदरणीय नीरज जी... सुन्दर प्रस्तुति...

सादर बधाई स्वीकारें...

परम आदरणीय अग्रज संजय मिश्र ;हबीब'जी आप ने मेरी रचना को पसंद किया आपका आभार --आप का अपना ही --नीरज  

आदरणीय नीरज जी सादर, आक्रोश और बेबसी को छंद में बहुत सुंदरता से प्रस्तुत किया है. इतनी सुन्दर छंद रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकारें.

परम आदरणीय रक्ताले जी आप ने मेरी रचना कोगहराई से पढ़ा ओर पसंद किया आपका आभार --आप का अपना ही --नीरज  

बहुत सुन्दर उत्कृष्ट  भाव से पूर्ण रचना हेतु बधाई नीरज जी 

 आदरणीय राजेश कुमारी जी मेरीरचना पर सार्थक टिप्पडी हेतु  आपकाहार्दिक आभार --आप का अपना ही----- नीरज

छंद कुंडलिया

(1)

फंदा फाँसी का लिए, बहनें हैं तैयार.

सूली के हकदार को, सूली दे सरकार.

सूली दे सरकार, दुष्ट पायें तब शिक्षा.

रुके यौन दुष्कर्म, मिले हर जगह सुरक्षा.

अंग भंग कर धरें, कुकर्मी पर यूं रंदा.

उनकी गर्दन नाप, कसें फाँसी का फंदा..

(२)

भगिनी-मातु समान है, नारी है अनमोल.

फिर भी दुनिया मापती, नारी का भूगोल.

नारी का भूगोल, मापती आँखें फोड़ें.

जो भी करे कुकर्म, सभी की गर्दन तोड़ें.

ढीला है कानून, तभी तो दुनिया ठगिनी.

फाँसी ही दरकार, कहे आक्रोशित भगिनी..  

--अम्बरीष श्रीवास्तव

वाह वाह अम्बर जी ..........गज़ब कुंडलिया कहीं आपने

जय हो !

फंदा रोया देख कर ख़ुद अपनी तकदीर
अब ऐसे दुष्कर्मियों के मैं चढूं शरीर
के मैं चढूं शरीर, हाय हतभाग्य हमारा 
ज्यों गंगा के भाग्य में आये गन्दा नारा
जी करता है आज बदल दूँ अपना धंदा
इस उधेड़बुन में उलझा, फांसी का फंदा



भगिनी जननी बेटियां या हो सजनी यार
बंद करो अब नारियों के संग अत्याचार
के संग अत्याचार, प्रभु नहिं माफ़ करेगा
जब भी करेगा रब पूरा इन्साफ़  करेगा
बूंद ओस की बन जाएगी  वन की अगनी
अगर यों ही पीड़ित होंगी माँ बेटी भगिनी

_______आँखें चुंधिया गयी हैं कम्प्यूटर पर बैठे बैठे, इसलिए मात्र दोष  के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ . थकान बहुत हो रही  है बाबा !!!!

:-)

प्यारी सी दी प्रतिक्रिया, कह डाले दो छंद,

कुंडलिया दोनों जँची, दोनों हमें पसंद.

दोनों हमें पसंद, क्षमा मत मांगें भाई.

त्वरित रचे जो छंद आपको बहुत बधाई.

'अम्बर' जैसा मित्र,  कहे यह दोंनों न्यारी.

गिनती जाता भूल, लगे कुंडलिया प्यारी.    :-)

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
2 hours ago
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
8 hours ago
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
9 hours ago
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
9 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
10 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service