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बिदाई गीतभोजपुरी मेरे लिए कुछ कठिन है इसलिए कि मेरी भाषा कुछ ठेठ भोजपुरी से अलग है। जब से ओबीओ पर आया हूं कुछ इस भाषा से नजदीकी हुई है। आप सुधीजन इस… Started by बृजेश नीरज |
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Jun 1, 2013 Reply by बृजेश नीरज |
"ओ बी ओ भोजपुरी काव्य प्रतियोगिता" अंक - 2भोजपुरी साहित्य प्रेमी लोगन के सादर प्रणाम, जइसन कि रउआ लोगन के खूब मालूम बा, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार अपना सुरुआते से साहित्य-समर्थन आ साह… Started by Admin |
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Jun 1, 2013 Reply by बृजेश नीरज |
बोलल कईसन बोर बा |गुड से मीठा बा भोजपुरी ,काहें बनावेल दूरी | कवन बा तोहार मजबूरी , बोले शर्माल भोजपुरी | चारों ओर होला बडाई , देश विदेश में शोर बा | … Started by Shyam Narain Verma |
0 | May 29, 2013 |
बोल भोजपुरी भईया हो |बोल भोजपुरी भईया हो , भूला जनि आपन पहचान | निधड़क बोलीं आपन भाषा , राखीं भोजपुरी के शान | मिश्री से मीठ ह भोजपुरी , भोजपुरीयन के ह पर… Started by Shyam Narain Verma |
0 | May 28, 2013 |
मनवा लागत नईखे |छोडी के गईल पिया , जहिया से विदेशवा , मनवा लागत नईखे | हरदम खोजेला तोहार साथ , मनवा लागत नईखे | चले जब सर सर बयरिया , लागे अईब पिया घरव… Started by Shyam Narain Verma |
0 | May 16, 2013 |
डार्लिंग दगाबाजी कईल , काहें करवल गवना हमार |,बहियाँ छोड़ा के जाल राजा , मानेल ना कहना हमार | डार्लिंग दगाबाजी कईल , काहें करवल गवना हमार |, केकरा से आग मान्गबी , केकरा से मान्गबी … Started by Shyam Narain Verma |
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May 7, 2013 Reply by Shyam Narain Verma |
मुख्य प्रबंधक मजदूर दिवस पर विशेष :भोजपुरी लघु कथा-जिवुतिया के वरतभोजपुरी लघु कथा : जिवुतिया के वरत रामजियावन मुह लटकवले घरे लउट अइलन अउर उदास होके चउकी प ओलर गइलन, सुरसतिया तनी धिरही से कहलस "काहे चल अइन… Started by Er. Ganesh Jee "Bagi" |
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May 1, 2013 Reply by rajnish manga |
bhojpuri Geetभोजपुरी माई के समर्पित एगो गीत - भोजपुरी माई के समर्पित एगो गीत - रहिया मोती बिछाइल बटोर ना . ह अमोल इ थाती अगोर ना चलली धीरे धी… Started by mrs manjari pandey |
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Apr 18, 2013 Reply by Shyam Narain Verma |
मुख्य प्रबंधक एगो प्रयोग : भोजपुरी घनाक्षरीघनाक्षरी (कवित्त) लिखे के प्रयास भोजपुरी में कईले बानी, रउआ लोगन से निवेदन बा कि आपन विचार से अवगत कराई सभे कि हमार प्रयास केतना सफल बा |… Started by Er. Ganesh Jee "Bagi" |
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Apr 11, 2013 Reply by ram shiromani pathak |
..... अयिले मास फगुनवा न!मौलिक व अप्रकाशित गाँव की गोरी, जिसका पति परदेश में है, वह फागुन के महीने में कैसे तड़पती है, उसी का चित्रण इस लोकगीत में किया गया है! *… Started by JAWAHAR LAL SINGH |
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Mar 14, 2013 Reply by JAWAHAR LAL SINGH |
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