For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इ का हो रहल बा ,
समझ में नइखे आवत ,
का मनमोहन बाबु के,
बुद्धि कही चरे चल गइल बा,
कि उनकर बछरुआ ,
सब के सब बे हाथ हो गइल बा,
एगो राजा साहेब बाडन,
उनकरा बात से अईसन लागेला ,
अगर उ बडका घर में पैदा ना भइल रहते,
त उ कही के ना रहते ,
देखि काल्ह तक बाबा के,
आगे पीछे मंत्री लोग घुमत रहे ,
आज लाज पचावत बा लोग,
दिन के उजाला में शरम लगत बा ,
रात के अँधेरा में आसुगैस
आउर लाठी चलवावत बा लोग,
छिः चुलू भर पानी होखे,
ता डूब मर लोग,

Views: 823

Replies to This Discussion

एह सद्यः प्रस्तुति के कारन आ एह कारन का पाछा के गुस्सा, भाईजी, एकदम से बुझा रहल बा.

मन संवेदना से सराबोर होखे त चारि तारीख के रात दिल्ली में घटल अइसना घटना पर चुप ना रहि सके. बाकिर ईहे कथनिया गद्य रूप में आइल रहित त बहस (डिसकसन) के निकहा बिन्दु सोझा रहित. गद्य के गरिमो के ध्यान राखल जरुरिये बा.

आ,

//आगे पीछे मंत्री लोग घुमात रहे ,
आज लाज पचावत बा लोग ,//

भाईजी, कहवाँ लाज पचावत बा लोग?? ऊ लोग त बेसरमी के हद ले जाइके सगरे घिनही मचवले बा..

गुरु जी, हमनी के पढ़ावल गइल बा कि कमजोर आदमी तुरंत अपना चरम पर यानी औकात पर आ जाला, इ कमजोर सरकार भी आपन औकात देखा दिहलस, इ त अंगरेजवन से चार कदम आगे निकल गइलन सन, जे भी सेंसेटिव दिमाग के लोग बा ओकरा मन में आक्रोश बा आ एकर खामियाजा आज न त काल भुगते के ही पड़ी | 

बहुत ही सुंदर रचना, साधुवाद | 

सबसे पाहिले त राउआ दुनु आदमी के धन्यवाद , रहल बात गुस्सा के त इ गुस्सा वो सब आदमी में आई जे दिल से हिदुस्तानी होखे आउर जे ओसामा के जी आउर कोई भी सन्यासी के ठग कही अउसन परविती के लोग के गुस्सा कहा से आई उहे न बात भइल नामर्द के मर्दानगी के वास्ता देला से कोई फायदा न होई ,
सरकार के हाथ हम सब ही मजबूत कईले बनी. अब रोए से का फ़ायदा होई. हाथ में तलवार हमही पकड़वले बानी. ख़ामियाजा भुगते खातिर तैयार रहीं 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, सुन्दर गीत रचा है आपने. प्रदत्त विषय पर. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, मौसम के सुखद बदलाव के असर को भिन्न-भिन्न कोण…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service