| लहरे तिरंगा झंडा अपना देश के शान | |
| आजादी के चाहत में केतने दिहले जान | |
| स्वतंता संग्राम के देख दर्द भरी कहानी | |
| भेद भाव भूला लड़लन हर हिन्दुस्तानी | |
| सब जान दे दिहले पावे खातिर आजादी | |
| फिरंगीं चाहत रहें हरदम बरबादी | |
| जलिया वाला बाग़ के सब लोग करे याद | |
| बरबरता में केतने भयीले बरबाद | |
| केतने सोहागिन के सेनुरा भी धोवाईल | |
| तबो अंगरेजन के दया तक ना आईल | |
| केतना बलिदान से भईल देश बर्बाद | |
| तब जा के इ भारत देश भईल आज़ाद | |
| झंडा कबहू झुके ना आयीं कसम खाईं जा | |
| देश के दुश्मन के मिल के छक्का छुडायींजा | |
| अन्याय भ्रष्टाचार अब देश से भगाईंजा | |
| आज़ादी सदा रहे मिलके सिर झुकाईंजा | |
| श्याम नारायण वर्मा |
| (मौलिक व अप्रकाशित) |
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