For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ भोजपुरी काव्य प्रतियोगिता" के सम्बन्ध में आवश्यक सूचना

सभे भाई लोगन के प्रणाम, 

तिमाही भोजपुरी काव्य प्रतियोगिता के दू गो कड़ी ओबीओ पर संचालित भईल, पहिला कड़ी कुछ निको चलल बाकी दोसरका कड़ी में भोजपुरिया लोगन के उदासीनता ओबीओ प्रबंधन अउरो प्रतियोगिता के प्रायोजक के हतोत्साहित क दिहलस ।

ओबीओ प्रबंधन एह सम्बन्ध में जवन निर्णय लिहले बा ऊ नीचे लिखल जात बा ……. 

1 - "ओबीओ भोजपुरी काव्य प्रतियोगिता" अंक 2 में कवनो रचना के पुरस्कार योग्य ना पावल गइल, आदरणीय प्रदीप कुशवाहा जी आ आदरणीय बृजेश जी गैर भोजपुरिया भाषी होखलूँ प बढ़ चढ़ के एह आयोजन में हिस्सा लिहलन लोग, ऊ तारीफ़ के जोग बा, प्रबंधन मुक्त कंठ से दूनो लोगन के प्रसंसा करत बा . 

2 - भोजपुरिया लोगन के उदासीनता के कारण  "ओबीओ भोजपुरी काव्य प्रतियोगिता" अब बंद क दिहल गईल. 

3 - "ओबीओ भोजपुरी काव्य प्रतियोगिता" के मंच संचालक सह भोजपुरी साहित्य समूह के प्रबंधक श्री सतीश मापतपुरी जी के निष्क्रियता आ उदासीनता के कारन उहाँ के भोजपुरी साहित्य समूह के दायित्व से मुक्त कइल जात बा. 

सादर ।

गणेश जी बागी 

संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक 

ओपन बुक्स ऑनलाइन 

Views: 2350

Replies to This Discussion

आदरणीय प्रदीप जी,
मैंने यह टिप्पणी केवल माहौल को सरस बनाए रखने के लिए मजाक में की थी। आप पर कोई व्यक्तिगत आक्षेप नहीं लगाया था।

सादर, दुखद निर्णय, किन्तु दूसरी कड़ी की समाप्ति के बाद से ही ऐसा लगने लगा था. भोजपुरी रचनाकारों के लिए समूह उपलब्ध होना भी संतुष्टिकारक है.

सहमत हूँ आदरणीय । 

आदरणीय रक्ताले जी का मत बिलकुल सही है।

दुखद निर्णय है तभी तो पीड़ा व्यक्त की गयी. आज इस मंच पर बतौर अपराधी खड़ा हूँ. जैसी देश की निति 

मैं भोजपुरी प्रतियोगिता की निर्णायक समिति के प्रस्तुत निर्णय पर व्यापक परिदृश्य के साथ कुछ तथ्य इंगित करना चाहूँगा.

पहला यह, कि यह किसी मंच के लिए बहुत ही दुर्भाग्य के पल होते हैं जब किसी भाषा-विशेष के आयोजन/प्रतियोगिता को मंच द्वारा अति उत्साह से प्रारंभ किये जाने के बावज़ूद उक्त भाषा-भाषी सदस्यों की अनुपलब्धता और मानद संचालक की अन्यमनस्कता के कारण बन्द करना पड़े.

दूसरा, किसी विशेष भाषा को बोलना किसी क्षेत्र के निवासियों का एकाधिकार नहीं है.

तीसरा, इसके बावज़ूद किसी भाषा के मूल तत्वों और उसके व्याकरण (और लालित्य भी) के साथ कॉम्प्रोमाइज़ नहीं किया जा सकता. ऐसा किया भी नहीं जाना चाहिये.

चौथा, भाषा कोई हो, यदि प्रतियोगिता संचालित हो रही है तो सर्वोत्तम प्रविष्टियों के लिए कतिपय सान्द्र मानक विन्दु नियत हुआ करते हैं. उन्हीं के सापेक्ष निर्णय लिये जाते है. ऐसा न करने वाले मण्डलों से पुरस्कार नहीं रेवड़ियाँ बाँटी जाती हैं. जिसकी कोई अवधारणा ओबीओ के मंच पर ज़िन्दा नहीं है.

पाँचवा, किसी आयोजन के प्रति वर्तमान में लिया गया निर्णय भविष्य के निर्णयों को प्रभावित नहीं करता. करना भी नहीं चाहिये.

छठा तथ्य, जोकि अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाय कि, आयोजन के निर्णायक मण्डल की संस्तुतियों पर प्रबन्धन मण्डल हठात् निर्णय नहीं लेता. अतः, किसी लिये गये निर्णय पर किन्हीं सदस्य द्वारा इस तरह से तर्क-वितर्क करना प्रबन्धन के निर्णयों के प्रति असहमति मानी जा सकती है. ज्ञातव्य हो, कि ओबीओ के पटल पर लिया कोई निर्णय व्यक्तिवाची कत्तई नहीं होता, न किसी व्यक्ति विशेष को संतुष्ट करता हुआ होता है, भले व्यक्ति-विशेष प्रबन्धन या कार्यकारिणी समिति का ही सदस्य क्यों न हो. इसी के परिप्रेक्ष्य में यह भी जाना जाय कि कोई निर्णय समस्त समूह के सापेक्ष होता है.

रचनाकर्म में सदस्यों द्वारा सार्थकता को महत्व दिया जाय. अन्यथा मन में उग आयी अपेक्षाएँ या भ्रान्तियाँ असहमति के भाव उत्पन्न करती हैं.

ओबीओ रचनाकर्म के सापेक्ष किसी रचनाकर्मी को भटकाव के रास्ते ले जाती वाहवाहियों की फूँक से फूला हुआ बलून नहीं बनाना चाहता. साहित्य-सेवा के कालजयी विन्दु तात्कालिक संतुष्टियों या आत्ममुग्धता से बहुत परे हुआ करते हैं.

विश्वास है, कई-कई विन्दु स्पष्ट हुए होंगे.

सादर

आदरणीय सभी बिन्दु स्पष्ट हुए और आपसे सहमति भी है। जो निर्णय लिया गया वह उचित है।
सादर!

आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर  जी 

सादर अभिवादन 

भले ही  मैं एकलव्य बन्ने की ध्रष्टता करूँ..पर गुरुदेव जी  की प्रत्येक बात सर माथे ..मैं कोई भी स्थिति आपसे स्पष्ट नही करूँगा. गुरु शिष्य की मर्यादा और शिष्टता जानता हूँ. गुरु सदैव , प्रत्येक दशा में निष्पक्ष, भेद भाव न रखने वाला होता है. 

सादर .

मैं भोजपुरी प्रतियोगिता की निर्णायक समिति के प्रस्तुत निर्णय पर व्यापक परिदृश्य के साथ कुछ तथ्य इंगित करना चाहूँगा.

पहला यह, कि यह किसी मंच के लिए बहुत ही दुर्भाग्य के पल होते हैं जब किसी भाषा-विशेष के आयोजन/प्रतियोगिता को मंच द्वारा अति उत्साह से प्रारंभ किये जाने के बावज़ूद उक्त भाषा-भाषी सदस्यों की अनुपलब्धता और मानद संचालक की अन्यमनस्कता के कारण बन्द करना पड़े.

दूसरा, किसी विशेष भाषा को बोलना किसी क्षेत्र के निवासियों का एकाधिकार नहीं है.

तीसरा, इसके बावज़ूद किसी भाषा के मूल तत्वों और उसके व्याकरण (और लालित्य भी) के साथ कॉम्प्रोमाइज़ नहीं किया जा सकता. ऐसा किया भी नहीं जाना चाहिये.

चौथा, भाषा कोई हो, यदि प्रतियोगिता संचालित हो रही है तो सर्वोत्तम प्रविष्टियों के लिए कतिपय सान्द्र मानक विन्दु नियत हुआ करते हैं. उन्हीं के सापेक्ष निर्णय लिये जाते है. ऐसा न करने वाले मण्डलों से पुरस्कार नहीं रेवड़ियाँ बाँटी जाती हैं. जिसकी कोई अवधारणा ओबीओ के मंच पर ज़िन्दा नहीं है.

पाँचवा, किसी आयोजन के प्रति वर्तमान में लिया गया निर्णय भविष्य के निर्णयों को प्रभावित नहीं करता. करना भी नहीं चाहिये.

छठा तथ्य, जोकि अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाय कि, आयोजन के निर्णायक मण्डल की संस्तुतियों पर प्रबन्धन मण्डल हठात् निर्णय नहीं लेता. अतः, किसी लिये गये निर्णय पर किन्हीं सदस्य द्वारा इस तरह से तर्क-वितर्क करना प्रबन्धन के निर्णयों के प्रति असहमति मानी जा सकती है. ज्ञातव्य हो, कि ओबीओ के पटल पर लिया कोई निर्णय व्यक्तिवाची कत्तई नहीं होता, न किसी व्यक्ति विशेष को संतुष्ट करता हुआ होता है, भले व्यक्ति-विशेष प्रबन्धन या कार्यकारिणी समिति का ही सदस्य क्यों न हो. इसी के परिप्रेक्ष्य में यह भी जाना जाय कि कोई निर्णय समस्त समूह के सापेक्ष होता है.

रचनाकर्म में सदस्यों द्वारा सार्थकता को महत्व दिया जाय. अन्यथा मन में उग आयी अपेक्षाएँ या भ्रान्तियाँ असहमति के भाव उत्पन्न करती हैं.

ओबीओ रचनाकर्म के सापेक्ष किसी रचनाकर्मी को भटकाव के रास्ते ले जाती वाहवाहियों की फूँक से फूला हुआ बलून नहीं बनाना चाहता. साहित्य-सेवा के कालजयी विन्दु तात्कालिक संतुष्टियों या आत्ममुग्धता से बहुत परे हुआ करते हैं.

विश्वास है, कई-कई विन्दु स्पष्ट हुए होंगे

आदरणीय, मेरी पोस्ट को कॉपी कर पुनः उद्दृत करने के पीछे का औचित्य समझ में नहीं आया.

वैसे मैं कोई गुरु उरु तो एकदम नहीं हूँ. अगर हूँ भी .. तो फिर, एक बड़ा अभागा गुरु हूँ.

सादर

बड़ी दुख भईल जानि के ! का एक बेर अऊर क के देखल संभव ना रहल ह ?

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
5 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
5 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
5 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service