For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जनलो -चिन्ह्लको लोग आज कतरात बा I

दिन आपन लद गइल अइसन बुझात बा I

 

दिन -रात पाछे -पाछे काल्ह तक जे लागल रहे I

उहो आज हमरा के देखिके परात बा I

 

हमसे उ मिले अइहन जबसे सनेस मिलल I

तबे से ना जानें काहें मन घबरात बा I

 

सबसे खेलाड़ी बड़का होला बखत भईया I

काल्ह तक जे हंसत रहे आज गिड़गिड़ात बा I

 

देखते -देखत आइल केस में सफेदी I

हौले -हौले लागता बुढ़ापा नियरात बा I

 

गीतकार -- सतीश मापतपुरी

Views: 1086

Replies to This Discussion

सबसे खेलाड़ी बड़का होला बखत भईया I

काल्ह तक जे हंसत रहे आज गिड़गिड़ात बा I

 

सतीश भईया, बड़ी जोरदार भोजपुरी ग़ज़ल लिखला हो, बेजोड़ बा, समय सबसे बड़हन खेलाड़ी होला, और बुढ़ापा नियरात बा, इ शे'र त बहुत नीक कहनी रौआ, बधाई स्वीकार करी | 

गणेश जी, रउवा जब तक हमरा रचना पर टिपण्णी ना करिलां, तब तक हम रउवे  बारे में सोचत रहिलां. सराहना बदे साधुवाद.

भाई सतीशजी,

कहनाम ई पुरान हऽ बाकिर कतना साँच हऽ जे कवनो बात जब हिरदा से निकलो त ओकर असर सुनेवाला के महज़ मने ना सोझ ओकर अंतरमन प होला. राउर ई भोजपुरी ग़ज़ल पर आज हमार नज़र पड़ल आ, साँच कहीं, हमार आजु के बिहान मनसायन भइल चमक रहल बा. एक-एक शेर के कहन आ ओकर तासीर, भाईजी, निकहा मुलामियत से छू रहल बा. हम कवनो ग़ज़ल के शिल्प आदि पर कुछऊ कहे के अधिकारी नइखीं, बाकिर, ग़ज़ल के कुल्हि शेरन के भाव पर आपन विचार साझा करे से ना रहि पाइब.

कोमल भाव आ मजगर शब्दन के मणिकाञ्चन मिलान पर पहिले हमार बधाई आ आदर स्वीकार कइल जाओ.

 

जनलो -चिन्ह्लको लोग आज कतरात बा I

दिन आपन लद गइल अइसन बुझात बा I

अहा हा !  ग़ज़ब के तासीर आ भाव के कतना भारी वज़न ! राउर ई मतला अनदिना में प्रयुक्त होखे वाला मसल के काबिलियत राखत बा. मन त बस इहँवे से मुग्ध हो गइल बा.

 

दिन-रात पाछे -पाछे काल्ह तक जे लागल रहे I

उहो आज हमरा के देखि के परात बा I

वाह भाईजी !  पहिले त एह शब्द ’पराये’ पर हमार बधाई लीहीं. अनदिना जउरे-जउरे, पाछा-पाछा लागल रहे वाला के मुँह मोड़ाई ओकर परा जाये से कम ना होखे. का दर्द के रेख बा. वाह.

 

हमसे उ मिले अइहन जबसे सनेस मिलल I

तबे से ना जानें काहें मन घबरात बा I

एह शेर में रउआ कौ तरह के बात कतना असानी से कहले बानी ई खलसा बूझे भर के बात बा. केहू के एह कहन में रुमानियत के मुलामियत लउकी त केहू के एही कहन में रोजीना के व्यवहार पर निकहा इसारा बुझाई. बहुत सफल शेर.

 

सबसे खेलाड़ी बड़का होला बखत भईया I

काल्ह तक जे हंसत रहे आज गिड़गिड़ात बा I

एकदम सही, भाईजी. बखत के कुल्हिये ग़ुलाम. एही का मारे कहल गइल बा जे कबो नाँव प गाड़ी त कबो गाड़ी प नाँव.  आजु के परिदृश्य पर बहुत मारक चोट करि रहल बा ई शेर.

 

देखते -देखत आइल केस में सफेदी I

हौले -हौले लागता बुढ़ापा नियरात बा I

बारि में आइल सुफैदी के बुढ़ापा से का रगड़ाई जी?... चौहत्तर के जवान निकहा कवनो पैंतीस के परुआ बूढ़ से ..!!!  हा हा हा ..

 

भाई सतीशजी, दिल से कहीं त हम बहुत दिन पर कुछऊ अतना सहज बाकिर अतना गंभीर सुननी हँ. फेर-फेर हमार दिली दाद कबूल कइल जाओ. बहुत भरोसा के सबब बनल बा पहुँचा भर नियराइल राउर ई ग़ज़ल.

 

परम आदरणीय सौरभ जी, सबसे पाहिले त हम राउर दिल से, दिमाग से, ज़ज्बात से अउरी सरधा से धनवाद देब कि रउवा आपन बेसकिमति बखत निकाल के हमरा रचना पर देहलीं. शराबी फिल्म के एगो दृश्य में जयाप्रदा से अमिताभ कहले कि एक ही ताली में हज़ार गूंज सुनाई देही. रउवा एके टिप्प्णी में लाख टिप्पणी के असर बा, बहुत-बहुत धनवाद सर जी.

bahut badhia sir ji man khush ho gail

jai ho guruji

 

niman rachana ...........badi nik ba |

शुक्रिया चौबे जी.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
2 hours ago
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
8 hours ago
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
8 hours ago
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
8 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
10 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service