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पुस्तक समीक्षा Discussions (112)

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पुस्तक समीक्षा के आवश्यक विन्दु // --सौरभ

पुस्तक-समीक्षा एक ऐसा साहित्यिक प्रयास है जिसके माध्यम से कोई समीक्षक या आलोचक उस पुस्तक या उसकी रचना(ओं) के माध्यम से लेखक या रचयिता के रच…

Started by Saurabh Pandey

3 Feb 3, 2014
Reply by Dr.Prachi Singh

सदस्य कार्यकारिणी

त्रासद समय में नारी का जीवन – संघर्ष ‘ बंजारन ‘

                                             त्रासद समय में नारी का जीवन – संघर्ष                                                          …

Started by sharadindu mukerji

3 Dec 8, 2013
Reply by Vindu Babu

सदस्य कार्यकारिणी

परों को खोलते हुये-1

किताब को खोलते ही मेरी नज़र सबसे पहले आदरणीय श्री योगराज प्रभाकर सर के इन शब्दों पर पड़ी ''इन बून्दों को मोती होना अवश्य है'' इन शब्दों को…

Started by शिज्जु "शकूर"

4 Nov 27, 2013
Reply by बृजेश नीरज

''परों को खोलते हुए'' की काव्यात्मक समीक्षा....................आदित्य चतुर्वेदी........समीक्षक

''परों को खोलते हुए'' की काव्यात्मक समीक्षा....................आदित्य चतुर्वेदी........समीक्षक //1// देखिए तीस परों को खोलते हुएअक्षर-अक्ष…

Started by aditya chaturvedi

11 Nov 24, 2013
Reply by धर्मेन्द्र कुमार सिंह

समीक्षा - परों को खोलते हुए-1 : एक पाठकीय प्रतिक्रिया -राहुल देव

हिंदी साहित्य जगत के पंद्रह रचनाकारों का संयुक्त काव्य संग्रह ‘परों को खोलते हुए-1’ मेरे हाथ में है | इस संकलन में हिंदी काव्यजगत के पंद्रह…

Started by वीनस केसरी

14 Nov 24, 2013
Reply by धर्मेन्द्र कुमार सिंह

''छन्द काव्यामृत"...-----------------.रचनाकार- डा0 आशुतोष बाजपेयी

!!! पुस्तक समीक्षा !!! ''छन्द काव्यामृत"..... ............पारंपरिक छन्द विधाओं का परिपालन करते हुए सरस, सहज और धारा प्रवाह विचार, बोधगम्य…

Started by केवल प्रसाद 'सत्यम'

2 Nov 7, 2013
Reply by केवल प्रसाद 'सत्यम'

आशा पाण्डेय ओझा की ‘एक कोशिश रौशनी की ओर’

       एक रचनाकार का ह्रदय बहुत संवेदनशील होता है. जीवन की अनुभूतियाँ उसके मन पर अंकित होती रहती हैं और रचना करते समय यही अनुभूतियाँ उभरकर…

Started by बृजेश नीरज

12 Nov 7, 2013
Reply by बृजेश नीरज

समीक्षा - मार्मिकता मानोशी का प्रिय बोध है। - यश मालवीय (इलाहाबाद)

मार्मिकता मानोशी का प्रिय बोध है। उन्मेष कविता संग्रह मेरे सामने है और मैं इसे काव्य के उन्मेष के रूप में ही देख रहा हूँ। संवेदना से लबरेज़…

Started by वीनस केसरी

1 Nov 7, 2013
Reply by Saurabh Pandey

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अनुभव के हवाले से - पुस्तक समीक्षा // सौरभ पाण्डेय

आज भाई रमेश नाचीज़ का ग़ज़ल-संग्रह ’अनुभव के हवाले से’ हाथों में है. पन्ने खुले हैं. प्रस्तुतियों के शब्दों का स्वर ऊँचा है. मेरे पाठक से संव…

Started by Saurabh Pandey

0 Nov 6, 2013

साहित्यिक अंजुमन में मानोशी का उन्मेष

      कविता सिर्फ भावाभिव्यक्ति नहीं होती बल्कि वह कवि की दृष्टि और अनुभूतियों से भी पाठक का परिचय कराती है। रचना में कवि का अस्तित्व तमा…

Started by बृजेश नीरज

15 Aug 27, 2013
Reply by बृजेश नीरज

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"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
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"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
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"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
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"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
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"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
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Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
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Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
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AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
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Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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