For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हम भारतवासियों की एक आदत है..मसाला खाने की..यदि सब्जी में मसाला ना हो तो मजा ही नन्ही आता..अरे हम तो दाल भी तडके वाली खाते हैं..मसाला मसाला मसाला..ये हमारे जीवन का अभिन्न अंग हो गया है..मिर्ची थोड़ी कम हुई नन्ही की खाना बेस्वाद लगने लगता है..

अब तो ये हालत है की बिना मसाले के कुछ अच्छा लगता ही नन्ही..फिल्म में जब तक एकाध आईटम सॉन्ग ना हो..फिल्म अधूरा सा लगता है..टीवी सीरियल्स में जब तक एकाध अन्तरंग सीन ना हो..सीरियल्स बेमजा लगते हैं..रियल्टी शो में जब तक हाथा पाई या गाली गलौज ना हो तब तक रियल्टी शो भी फीका फीका लगता है..टीवी साक्षात्कारों में जब तक एंकर बिलकुल ही अशिष्ट तरीके से अपनी बात सामनेवाले के मुंह में ना ठूंस दे..वो अच्छा एंकर हो ही नन्ही सकता...बे सिर पैर के ख़बरों को मसाले का तडका लगा के जब तक रोचक ना बनाया जाए हमें वो स्वादहीन लगता है... अंतहीन सीरियल्स के चौंकाने वाले मोड़..वो झन्नाटेदार आवाज,वो स्लो मोसन में अवास्तविक बातों को वास्तविकता का जामा पहनाना...भाई क्या कहने हैं...

और तो और अब तो gentle man गेम कही जाने वाली क्रिकेट में भी जब तक IPL का तडका और चीयरगर्ल्स का तडका नन्ही लगता मजा ही नहीं आता.. अरे इस मसाले की प्रवृति ने तो अचानक से एकदम से अप्रासंगिक हो गए बापू को भी गांधीगिरी के माध्यम से प्रासंगिक बना दिया..

आपका क्या ख्याल है?

Views: 1122

Reply to This

Replies to This Discussion

बड़ा ही सुन्दर महत्व बताया गया है हमारे जिंदगी में मसाला का ,लेकिन इस पर मैं कल टिपण्णी करूँगा ,समय के अभाव
स्वागत है..
प्रीति जी, आप ने तो मसाले की व्याख्या जिस मसालेदार अंदाज से किया है वो काबिलेगौर है, जहाँ तक मेरा मानना है मसाला डालिये जरूर पर उसकी मात्रा और जगह उचित होना चाहिये, तभी वह अच्छा लगता है, बिना जरूरत के मसाला ठूसना अच्छे भले व्यंजन को भी बर्बाद कर देते है, कुछ दिन पहले मेरे एक मित्र श्री आशुतोष रंजन जी से इसी मुद्दे पर बात हो रही थी, वो कहे की डेली सोप सीरियल मे जो एक तमाचा को तीन बार दिखाते है दर्शक को उस चोट का एहसास तो नहीं होता हा हसी जरूर आती है |
धन्यवाद
सच्ची बानगी, सुंदर विचारपरक अभिव्यक्ति की .बधाई प्रीति जी. लेकिन साथ ही हमें धारा के खिलाफ चलने के लिए भी तैयार रहना है. अन्यथा ये मीडिया समाज को जाने कहाँ ले जाकर छोड़े.शायद वो असभ्यता का सूनसान टापू होगा .और होंगे हम मूल्य -आदर्श विहीन अमानव|
धन्यवाद, सहमत...
मसालेदार टिप्पणी का बखूब निवाला..
तिसपर मसाले का ही ओरहन-हवाला.. !
छिछला व्यवहार, हरसूँ बौड़म परिपाटी..
हल्ला हड़बोंग, काटे हरसूँ बवाला.. !! .. - अच्छा अंदाज़ है. ..
आपकी टिप्पणी ने तो चार चाँद लगा दी...धन्यवाद
बहुत ही सही कहा आपने priti jee... मसाला (खानें वाला) हमारे भारत की पहचान भी है... पर दिन-ब-दिन ये मसाला (publicity stunt) विश्व पटल पर हमारी भारतीय सभ्यता को भी मसाला लगा रहा है... फिल्मों में बेहूदा गानें और गालिया ये कहकर डालना कि ये reality है हमारे समाज की... हमे वही दिखाया जाता है जो हम देखना पसंद करते हैं... तो शायद इन मसलों के पीछे कहीं हमारे समाज का बदलता स्वाद भी जिम्मेदार है... बहुत ही अच्छा लगा पढ़ कर... इस विषय पर हम भी कुछ लिखना पसंद करेंगे अपने अंदाज़ में उम्मीद करती हूँ... अगर खुले आम आपसे आपका विषय चुरानें की इज़ाज़त मांगू तो आपको कोई ऐतराज़ ना होगा... शुक्रिया...!!
धन्यवाद, स्वागत है...

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया लक्ष्मण भाई।"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये अमित जिनकी टिप्पणी से सीखने को मिला…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service