For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वास्तविक कवि और शायर  हम किसे कहेंगे, उन्हे जो मंचों पर बार-बार दिखाई देते हैं या उन्हें जो मंचों पर दिखने के लिए संघर्ष करते रहते हैं, या उन्हें जिन्हे मंचों पर न आने देने के लिए प्रयास करते हैं अथवा उन्हें जोअपनी कुछेक रचनाओं को बार-बार पढ़ते रहते हैं क्योंकि उनके पास उपाधियाँ हैं ?

आप मानते हैं -- "हक़ीक़त में जो शायर हैं वो मंचों पर नहीं होते ? जो आयोजन कराते हैं वोही पढ़ते-पढ़ाते हैं ?"

 

Views: 1660

Reply to This

Replies to This Discussion

पल्लव जी वाकई स्थिति चिंताजनक है ख़ास कर नए रचनाकारों के लिए | परन्तु हम सबको एक होकर अपना मंच खुद बनाना होगा | ओ बी ओ इस दिशा में बढ़िया कार्य कर रहा है | आज हम संजाल पर है कल ज़मीन पर भी इकठ्ठा होंगे और दिखा देंगे | आप हौसला रखिये !!

//कभी मौका दीजिए मंच पे आने का क्योंकि आप तो कई कवि सम्मेलनों मे संयोजक होते हैं इस पर उनकी प्रतिक्रिया रही कि बेटा मैं किसी नये व्यक्ति को मौका नही दे सकता.//

 

इस तरह की पंक्तियाँ सही कहें नव-हस्ताक्षरों की झुंझलाहट का बहुत बड़ा कारण हैं. लेकिन, पल्लवजी, अपना मानना है कि लगन, स्वाध्याय, मनन और सतत व्यक्तिगत प्रयास, यह सभी कुछ मिलकर किसी नये रचनाकार को स्थापितों के सम्मुख खड़ा कर देते हैं. तथाकथित स्थापित होने या अच्छा लिखते जाने में से यदि मुझसे पूछें तो मैं लगातार प्रयासरत हो अच्छा लिखने को अधिक तरजीह दूँगा. क्योंकि श्रोता/पाठक को समृद्ध करना किसी रचनाकार का पहला कर्तव्य और रचना की कसौटी दोनों है.  और वस्तुतः यही साहित्य-संस्कार है. 

 

मंच पर पढ़ना वैसे भी किसी रचनाकार के लिये मानक नहीं होता, होना भी नहीं चाहिये. बल्कि यह रचना-संप्रेषण का एक जरिया भर है. आपके पास ई-पत्रिका ओबीओ (ओपेनबुक्सऑनलाइन) का संबल और मंच है. एक महीने में तीन-तीन इण्टरऐक्टिव आयोजन होते हैं.  आप यहाँ रेगुलर होइये. आप देखेंगे कि इन आयोजनों में सिर्फ़ मुँहदेखी ’वाहवाहियाँ’ नहीं होतीं, बल्कि रचना का नीर-क्षीर हो जाता है. उचित सलाह से रचनाओं में सुधार भी किया जाता है. ऐसा होते मैंने आजतक किसी मंच पर नहीं देखा है. यह कमतर किन्तु बेतुके अहं पाले हुए रचनाकारों को थोड़ा नागवार तो गुजरता है, लकिन यह उन रचनाकारों को सोचना होगा कि वे कोरी वाहवाही के भूखे हैं या व्यवस्थित रचनाकर्म के माध्यम से साहित्य-साधना करना चाहते हैं. 

 

पल्लवजी, आप इस मंच पर अपनी रेगुलर उपस्थिति बनाइये.  आपकी सशक्त रचनाओं को तालियों की कमी नहीं होगी. धीरे-धीरे हम आभासी दुनिया से वास्तविक दुनिया पर भी प्रयासरत होंगे. अफ़सोसजी, बेखुदजी, अभिनवजी, शमीमजी के सानिध्य में वाराणसी में ऐसा एक प्रयास हो चुका है. अगली दफ़ा, कुछ और संयत ढंग से ऐसे प्रयास होंगे.  

 

आमीन !! आदरणीय सौरभ जी आपके शब्द ही हमारे साहस का संबल हैं !!

आदरणीय सौरभ जी
आपकी बात शत प्रतिशत सही है, मैं कुछ व्यक्तिगत एवं कुछ दूसरे कार्यों मे व्यस्त होने की वजह से पिछले कुछ समय मे ओ बी ओ पर ज़्यादा सक्रिया नही रह पाया.... मैं ओ बी ओ से बहुत दिल से जुड़ा हुआ हूँ क्योंकि मुझे पल्लव से मासूम बनाने का श्रेय श्री योगराज प्रभकर एवं श्री राणा को जाता है..... ओर मैं खुद चाहता हूँ की ओ बी ओ के सदस्यों का मेल मिलाप वढे ओर मैं सभी सदस्यों को कहना चाहूँगा की मेरी ओर से जो भी सहयता बन पड़ेगी मैं करूँगा... उम्र मे छोटा हूँ पर हा इतना ज़रूर कहना चाहूँगा की
ये शब्द खरीदने की ताक़त ज़माने की नही यारों....... दुनिया की हर चीज़ बिकौ नही होती

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बात करते नहीं हुआ क्या है हमसे बोलो हुई ख़ता क्या है 1 मूसलाधार आज बारिश है बादलों से…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
7 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
7 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service