For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इलाहाबाद में नवोन्मेष के तत्त्वाधान में काव्य-समारोह / दिं. 08 जनवरी 2012

साहित्य-व्योम में उन्मुक्त उड़ान भरते स्वकेन्द्रित रचनाकारों की न कभी कमी थी, न कभी कमी रहेगी. परन्तु, साहित्य के मर्म और अर्थ को जीने वाले उत्साही रचनाधर्मियों के कारण ही आज तक समाज दिशा और दशा पाता रहा है.  ऐसे ही ऊर्जस्वियों का सद्-प्रयास साहित्य के माध्यम से विधाओं की परिभाषा के गढ़े जाने का कारण रहा है.  इसी सकारात्मक प्रक्रिया के अंतर्गत साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्था ’नवोन्मेष’ के तत्वाधान में दिनांक 8 जनवरी 2012 को इलाहाबाद के वर्धा विश्वविद्यालय (महात्मा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय, इलाहाबाद प्रभाग) के प्रेक्षागृह में काव्य-समारोह का आयोजन हुआ. सन् 2009 से सिद्धार्थनगर से साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र सामाजिक रूप से दायित्त्व का निर्वहन कर रही संस्था ’नवोन्मेष’ द्वारा आयोजित इलाहाबाद महानगर में यह कोई पहला कार्यक्रम था. इससे जुड़े श्री वीनस केसरी के अथक प्रयास का ही प्रतिफल था कि इलाहाबाद परिक्षेत्र के अलावे सोनभद्र, लखनऊ, पटना और कानपुर से साहित्य प्रेमियों का सफल जुटान हुआ.  इस कार्यक्रम की सफलता हेतु युवा हस्ताक्षर वीनस केसरी द्वारा हुआ अथक प्रयास सिर्फ़ साहित्य और साहित्य के लिये हुए कर्म का सही अर्थ परिभाषित कर गया. 


गोष्ठी की अध्यक्षता ग़ज़ल की विधा और साहित्यिक परिक्षेत्र में मूर्धन्य हस्ताक्षर मोहतरम एहतराम इस्लाम द्वारा किया गया. काव्य-गोष्ठी के मुख्य अतिथि डा. ज़मीर अहसन साहब थे. गोष्ठी का शुभारम्भ गोष्ठी के अध्यक्ष तथा मुख्य अतिथि द्वारा किये गये दीप-प्रज्ज्वलन से हुआ. नवोन्मेष संस्था से जुड़े तथा सिद्धार्थनगर से आये श्री अनुराग त्रिपाठी ने सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. उक्त अवसर पर कानपुर से पधारे श्री रविकंत पाण्डेय द्वारा सरस्वती वन्दना का सस्वर पाठ किया गया. 


इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी के सर्वसमाही संचालन में गोष्ठी में काव्य-पाठ का प्रारम्भ रमेश नाचीज़ जी द्वारा हुआ जिनके पुरअसर आवाज़ और अश’आर ने समां बाँध दिया. 


सबकुछ संभव हो सकता है ये माना लेकिन

चींटी का पर्वत चढ़ जाना माने रखता है. 

जंग किये बिन सच्चाई के रस्ते चलकर
प्रतिद्वंद्वी को धूल चटाना माने रखता है. 

इसके बाद अहमद रियाज़ रज़्ज़ाकी ने अपनी ग़ज़ल पढ़ी - 

मैं तन्हा रह गया हूँ इस सफ़र में
कोई रस्ते में छूटा है कोई घर में 

शेषधर तिवारी जी के अश’आर और ग़ज़लों ने श्रोताओं को बहुत कुछ सोचने के कई विन्दु दिये.  

न होते आँखों में आँसू तो रिश्ते जम गये होते 
न पीती माँ अगर आँसू तो कुनबे जल गये होते
या फिर, 

दोस्त हूँ मैं बात कड़वी बोल सकता हूँ कभी 
सिर्फ़ मीठे बोल सुनना है तो दुश्मन खोज लो.

इस गोष्ठी की खुसूसियत थी श्री कृष्ण मोहन मिश्र का हास्य गद्य-पाठ. उन्होंने ’चाट का ठेला’ पढ़ कर श्रोताओं को लोटपोट तो कर ही दिया चाट के चटखारे मानो शब्द से निस्सृत हो कर झर रहे थे. 

आयोजन में केन्द्रीय भूमिका निभा रहे श्री वीनस केसरी जी की ग़ज़लों ने लोगों के दिल ही नहीं दिमाग़ पर भी अपना असर डाला. कहना न होगा,  वीनस की ग़ज़लें एक विशेष तासीर की ग़ज़लें होती हैं. 


उनके द्वारा पढे गये एक मुक्तक की एक बानगी देखें -

दिन ढले जो ख्वाब लौटे हार कर
रंज मत कर बैठ मत जी मार कर 
हौसला कश्ती हुनर सब तो है
नेक बंदे अब तो दरिया पार कर  

एक माँ के नाम इस शे’र ने किसी बेटे की संभावनाओं को बखूबी उजागर किया - 

मेरी माँ आजकल खुश है इसी में 
अदब वालों में बेटा बोलता है .. 

रविकांत पाण्डेय की कविताओं ने श्रोताओं और मंचासीन अध्यक्ष और मुख्य अतिथि दोनों का समवेत ध्यान आकर्षित किया - 

हार लिखा सारी दुनिया ने मैने उसको जीत लिखा 
जब-जब अश्रु नयन में आये तब-तब मैंने गीत लिखा 


संचालन कर रहे इम्तियाज़ ग़ाज़ी ने अपनी छोटी बह्र की ग़ज़लों से सुधि श्रोताओं का खास मनोरंजन किया. 


चाँद को चाँदनी नहीं कहते 
आग को रौशनी नहीं कहते 

या फिर, 
जिसका दुश्मन नहीं कोई
उससे बच कर रहा कीजिये

ख़ाकसार (सौरभ पाण्डेय) ने शब्द-चित्रों के माध्यम से भारतीय गाँवों को जीवंत करने की कोशिश की जिसकी भरपूर सराहना मिली. आज के अनगढ़ विकास पर पढ़े गये विशेष तेवर के नव-गीत की कुछ पंक्तियाँ - 

देखो अपना खेल अजूबा, देखो अपना खेल
द्वारे बंदनवार प्रगति का पिछवाड़े धुरखेल .. भइया, देखो अपना खेल.. !

 

 

सोनभद्र से पधारे श्री अतेन्द्र कुमार रवि ने भी अपनी उपस्थिति जतायी - 

दोस्ती का हक़ तो मिंने अदा किया

जाने क्यों उसने मुझे दग़ा दिया 
 

पटना से पधारे गणेशजी बाग़ी ने हिन्दी के साथ-साथ भोजपुरी गीतों और छंदों से सभी का मन मोह लिया. 

हाँ में हाँ मिलावे जेहि बतिया बनावे जेहि

विश्वास ओकरा पर कबहुँ न करिहा ..

 

या फिर,

जनम लेवे से पहिले मार दिहलऽ बिटियन के

अब पतोहु न मिले त मन बघुआइल काहें .. . 

 

 

डा. ज़मील अहसान की ग़ज़लों की रवानी और उनकी कहन ने श्रोताओं का भरपूर ध्यान आकर्षित किया - 

यूँ बात चलेगी कि यहाँ सर न बचेगा 
पूजा के लिये भी कोई पत्थर न बचेगा 

सर बेच के तलवार बचाना है मुमकिन 
तलवार बिकेगी तो कभी सर न बचेगा 

राधा-कृष्ण को सबने देखा सूरदास की आँखों से 
फिर भी किसने सूरदास को अँधा कहना छोड़ दिया 

 
 
गोष्ठी के अध्यक्ष मोहतरम एहतराम इस्लाम के शेर और दोहों से गोष्ठी में सभी जन अभिभूत हुए. उनकी ग़ज़लों में तत्सम शब्दों के प्रयोग से एक अलग ही आयाम पैदा होता है.  

सुंदर देख  असुंदर देख 
लेकिन स्वप्न बराबर देख
दाम लगाने के पहले 
हीरा है या पत्थर देख 

दुनिया कितनी छोटी है
ऊँचाई पर जाकर देख.

   

अध्यक्ष महोदय ने वीनस के प्रयासों की भरपूर सराहना की जिसके कारण नवोन्मेष संस्था द्वारा आयोजित काव्य-गोष्ठी कई मायनों में सफल रही. सुधि श्रोताओं की संख्या ने भी कार्यक्रम को ऊँचाइयाँ बख्शीं.  काव्य पाठन के क्रम में लखनऊ से आशीष यादव तथा इलाहाबाद से  एन. लताजी तथा अजीत शर्मा आकाश की कविताओं को भी श्रोताओं से सराहना मिली. 

 

 

गोष्ठी की सफलता ने इलाहाबाद की सरज़मीं पर साहित्यिक गोष्ठियों के पुनर्जीवन हेतु संजीवनी का काम किया है इसमें संदेह नहीं है. इस अविस्मरणीय साहित्यिक शाम की आनेवाले कई-कई पल फिर-फिर से बाट जोहते रहेंगे.

********************************************
-- सौरभ 

********************************************

Views: 2838

Reply to This

Replies to This Discussion

आदरणीय सौरभ जी, गोष्ठी की रिपोर्ट ही उसकी सफलता की कहानी कह रही है,ऐसा लगा कि अँखियन देखी ,कानन सुनी है.सचमुच ही जिन्होंने इसमें भौतिक रूप से अपनी उपस्थिति दर्ज की है उनके लिये यह अविस्मरणीय ही रहेगी.सजीव रिपोर्ट प्रस्तुतिकरण हेतु आभार तथा समस्त परोक्ष व अपरोक्ष आयोजकों को सफल आयोजन की बधाइयाँ.

अरुणजी, आपकी शुभकामनाओं से हम आप्लावित हुए. आपका हार्दिक अभिनन्दन. रिपोर्ट अपने उद्येश्य में सफल हुई, इसका अनुमोदन संतुष्ट कर गया. सहयोग बना रहे.

 

आदरणीय औरभ जी की रिपोर्ट पढ़ कर मैं गोष्ठी मे शरीक होने जैसा अनुभव करने लगी हूँ. इस आयोजन के लिए आयोजकों को हार्दिक बधाई.  इंतजार कर रही हूँ  कि फिर से दिल्ली में ऐसा एक आयोजन हो.

आदरणीया नीलमजी, मेरी भी हार्दिक इच्छा है कि एक बार फिर दिल्ली की गोद में अपनी गोष्ठी साकार रूप ले. इलाहाबाद का काव्य-समारोह विघ्नरहित सम्पन्न हुआ, इसकी संतुष्टि सभी को है.  आपको मेरी रिपोर्ट अच्छी लगी, समझिये इसका उद्येश्य पूर्ण हुआ.

सादर.

सौरभ  जी समारोह की इतनी सुन्दर रिपोर्ट के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद,   आभार

आपका वीनस केशरी

सादर

धन्यवाद वीनसजी.  रिपोर्ट अपने उद्येश्य में सफल रही, इसका अनुमोदन सुन कर मन प्रसन्न हुआ.

आभार

तिवारी जी हार्दिक धन्यवाद

कार्यक्रम  में आपके अतुलनीय सहयोग के लिए पुनः आभार

आपकी उपस्थिति और भागीदारी से समारोह गरिमामय हुआ तथा सभी श्रोता संतुष्ट हुए. आपको मेरी रिपोर्ट समीचीन और अनुकूल लगी इस हेतु शेषधर भाई जी आपका सादर धन्यवाद.

 

इस कार्यक्रम का हिस्सा मैं भी था.....शेर-गजल-नवगीत-शब्द चित्र- घनाक्षरी- हास्य वो भी हिन्दी भोजपुरी सभी कुछ एक साथ....यानि, कडकडाती ठंढ में फ़ेस्टिव आफ़र सा था सारा कुछ .........साहित्य की धारा बही तो बस बहती ही चली गयी..खुल कर लूटा इस आफ़र को......अगले आफ़र के इन्तजार में....... 

आपको कार्यक्रम में आना सार्थक लगा
यह बात ही कार्यक्रम को सार्थक कर गयी.

हार्दिक आभार

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"किसी भोजपुरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्द्धन किया जाना मुझे अभिभूत कर रहा है। हार्दिक बधाई,…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Feb 1
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Feb 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service