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Dayaram Methani's Discussions (1,068)

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"रतजगे इश्क़ की एवज़ में मिलें आँखों कोइससे बेहतर कोई सौग़ात नहीं होती है............बहु…"

Dayaram Methani replied Jul 24, 2020 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-121

611 Jul 25, 2020
Reply by Samar kabeer

"आदरणीय अमरूद्दीन जी, बहुत ही सुंदर गज़ल के लिए बधाई। "

Dayaram Methani replied Jul 24, 2020 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-121

611 Jul 25, 2020
Reply by Samar kabeer

"अश्क़ हर अंग से बहते हैं मेरे तो नादिर सिर्फ़ आँखों से ही बरसात नहीं होती है.-------अत…"

Dayaram Methani replied Jul 24, 2020 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-121

611 Jul 25, 2020
Reply by Samar kabeer

"आजकल उनसे मुलाकात नहीं होती हैमिल भी जायें तो कभी बात नहीं होती है आप देखा न करें ह…"

Dayaram Methani replied Jul 24, 2020 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-121

611 Jul 25, 2020
Reply by Samar kabeer

"मीठी है खुद की कमाई हुई रोटी । प्यारी है रात की बचाई हुई रोटी। अच्छी है माई के हाथ क…"

Dayaram Methani replied Jul 12, 2020 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-117

62 Jul 12, 2020
Reply by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

"अति सुंदर एवं मार्मिक गज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"

Dayaram Methani replied Jul 12, 2020 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-117

62 Jul 12, 2020
Reply by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

"आदरणीय नीलम दीक्षित जी, बहुत सुंदर दोहा सृजन के लिए बधाई।"

Dayaram Methani replied Jul 12, 2020 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-117

62 Jul 12, 2020
Reply by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

"आदरणीय वासुदेव अग्रवाल जी,  प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत आभार।"

Dayaram Methani replied Jul 12, 2020 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-117

62 Jul 12, 2020
Reply by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

"आदरणीय मनन कुमार जी,  प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत आभार।"

Dayaram Methani replied Jul 12, 2020 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-117

62 Jul 12, 2020
Reply by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

" प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत आभार, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"

Dayaram Methani replied Jul 12, 2020 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-117

62 Jul 12, 2020
Reply by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

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"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
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Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,यह ग़ज़ल तरही ग़ज़ल के साथ ही हो गयी थी लेकिन एक ही रचना भेजने के नियम के चलते यहाँ…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। यह गजल भी बहुत सुंदर हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
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"साथियों से मिले सुझावों के मद्दे-नज़र ग़ज़ल में परिवर्तन किया है। कृपया देखिएगा।  बड़े अनोखे…"
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Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. अजय जी ...जिस्म और रूह के सम्बन्ध में रूह को किसलिए तैयार किया जाता है यह ज़रा सा फ़लसफ़ा…"
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अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"मुशायरे की ही भाँति अच्छी ग़ज़ल हुई है भाई नीलेश जी। मतला बहुत अच्छा लगा। अन्य शेर भी शानदार हुए…"
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सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post उस मुसाफिर के पाँव मत बाँधो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद और बधाइयाँ.  वैसे, कुछ मिसरों को लेकर…"
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अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"हार्दिक आभार आदरणीय रवि शुक्ला जी। आपकी और नीलेश जी की बातों का संज्ञान लेकर ग़ज़ल में सुधार का…"
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अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"ग़ज़ल पर आने और अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए आभार भाई नीलेश जी"
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अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"अपने प्रेरक शब्दों से उत्साहवर्धन करने के लिए आभार आदरणीय सौरभ जी। आप ने न केवल समालोचनात्मक…"
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Jaihind Raipuri is now a member of Open Books Online
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