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munish tanha's Discussions (683)

Discussions Replied To (683) Replies Latest Activity

"जिन्दगी दर्द से बेहाल बता भी न सकूँ जख्म चेहरे पे लिखे साफ़ छुपा भी न सकूँ आइना देख…"

munish tanha replied Sep 23, 2017 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-87

581 Sep 23, 2017
Reply by Gajendra shrotriya

"तुम थे मेरे साथ तो हर मरहला आसान थातुम नहीं तो ज़िन्दगी में कामरानी फिर कहाँ आदरणीय …"

munish tanha replied Aug 26, 2017 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-86

492 Aug 26, 2017
Reply by Samar kabeer

"जब गिराते ही रहे मेयार अपना आप ख़ुद  हम घटा कर अपने क़द को बनते सानी फिर कहाँ. आदरणीय…"

munish tanha replied Aug 26, 2017 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-86

492 Aug 26, 2017
Reply by Samar kabeer

"आबरु जब तक ढ़की रहती है तब तक शान है । जब उछल जाती है पगड़ी शादमानी फिर कहां ।। आदरणी…"

munish tanha replied Aug 26, 2017 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-86

492 Aug 26, 2017
Reply by Samar kabeer

"बुत बने बैठे रहे देखा न कोई बात की आपके जैसी मिलेगी मेज़बानी फिर कहाँ आदरणीय महेंद्र…"

munish tanha replied Aug 26, 2017 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-86

492 Aug 26, 2017
Reply by Samar kabeer

"२१२२ – २१२२ -२१२२ -२१२ देखता हूँ आपको रहती रवानी फिर कहाँ आप के बिन रात लगती है सु…"

munish tanha replied Aug 25, 2017 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-86

492 Aug 26, 2017
Reply by Samar kabeer

"जिसे भी चाहिए जैसा कि चुनकर वैसा ले जाए लगा मेला दुखी पीड़ित जवाँ खुशहाल शब्दों का आद…"

munish tanha replied Aug 12, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-82

647 Aug 12, 2017
Reply by satish mapatpuri

" दया औरकरुणा केहृदय में उतरता है तो"संवेदना "बन जाता है शब्द आदरणीय सुंदर रचना के लि…"

munish tanha replied Aug 12, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-82

647 Aug 12, 2017
Reply by satish mapatpuri

"गीत,ग़ज़ल,कविता,चौपाई, सब शब्दों का खेल । इनके कारण हो जाता है, दिल से दिल का मेल ।। आ…"

munish tanha replied Aug 12, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-82

647 Aug 12, 2017
Reply by satish mapatpuri

"2122 – 2122 – 212 दिल को दिल से जोड़ते हैं लफ्ज़ ही हादसों को मोड़ते हैं लफ्ज़ ही मौन ला…"

munish tanha replied Aug 12, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-82

647 Aug 12, 2017
Reply by satish mapatpuri

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Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद आ. चेतन प्रकाश जी..ख़ुर्शीद (सूरज) ..उगता है अत: मेरा शब्द चयन सहीह है.भूखे को किसी ही…"
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Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"मतला बहुत खूबसूरत हुआ,  आदरणीय भाई,  नीलेश ' नूर! दूसरा शे'र भी कुछ कम नहीं…"
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Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
". तू है तो तेरा जलवा दिखाने के लिए आ नफ़रत को ख़ुदाया! तू मिटाने के लिए आ. . ज़ुल्मत ने किया घर तेरे…"
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Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. लक्ष्मण जी,मतला भरपूर हुआ है .. जिसके लिए बधाई.अन्य शेर थोडा बहुत पुनरीक्षण मांग रहे…"
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Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. आज़ी तमाम भाई,मतला जैसा आ. तिलकराज सर ने बताया, हो नहीं पाया है. आपको इसे पुन: कहने का प्रयास…"
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"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"221 1221 1221 122**भटके हैं सभी, राह दिखाने के लिए आइन्सान को इन्सान बनाने के लिए आ।१।*धरती पे…"
7 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी है, लेकिन कुछ बारीकियों पर ध्यान देना ज़रूरी है। बस उनकी बात है। ये तर्क-ए-तअल्लुक भी…"
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Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"२२१ १२२१ १२२१ १२२ ये तर्क-ए-तअल्लुक भी मिटाने के लिये आ मैं ग़ैर हूँ तो ग़ैर जताने के लिये…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )

चली आयी है मिलने फिर किधर से१२२२   १२२२    १२२जो बच्चे दूर हैं माँ –बाप – घर सेवो पत्ते गिर चुके…See More
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Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय निलेश सर ग़ज़ल पर नज़र ए करम का देखिये आदरणीय तीसरे शे'र में सुधार…"
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Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
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