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"आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी  कृपया संज्ञान में लें: डॉ० विष्णु सक्सेना जी सिकंदरा राऊ उ…"

Dr.Prachi Singh replied Sep 12, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-59

661 Sep 12, 2015
Reply by Ravi Shukla

"आ० तेजवीर सिंह जी आपकी अभिव्यक्ति नें आदरणीय डॉ० विष्णु सक्सेना जी का एक कालजई मशहूर…"

Dr.Prachi Singh replied Sep 12, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-59

661 Sep 12, 2015
Reply by Ravi Shukla

"आदरणीय मिथिलेश जी  बहुत प्रभावी अशआर हुए हैं.. जमाने की ये तुहमत भी समय के साथ बदले…"

Dr.Prachi Singh replied Sep 11, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-59

661 Sep 12, 2015
Reply by Ravi Shukla

"आदरणीया प्रतिभा जी, समय के जीवन के हर पल में साक्षी भाव से साथ निभाते चलने को...और स…"

Dr.Prachi Singh replied Sep 11, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-59

661 Sep 12, 2015
Reply by Ravi Shukla

"बहुत बेहतरीन सारगर्भित छंद रचना प्रस्तुत की है आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी   कभी बै…"

Dr.Prachi Singh replied Sep 11, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-59

661 Sep 12, 2015
Reply by Ravi Shukla

"समय चक्र पर बहुत सुन्दर दोहा गीत रचा है आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी  हार्दिक ब…"

Dr.Prachi Singh replied Sep 11, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-59

661 Sep 12, 2015
Reply by Ravi Shukla

"हाहाहा... तो मिथिलेश जी की उदारता का लाभ हुआ है ये. :)))))"

Dr.Prachi Singh replied Sep 11, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-59

661 Sep 12, 2015
Reply by Ravi Shukla

"आदरणीय शिज्जू जी  बहुत सुन्दर अशआर कहे हैं... यूँ जागने की मुझको सज़ा दे गया समयआँख…"

Dr.Prachi Singh replied Sep 11, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-59

661 Sep 12, 2015
Reply by Ravi Shukla

"आदरणीय राजेश कुमारी जी बहुत सामयिक सुन्दर अशआर हुए हैं... वक़्त बड़ा बलवान सुना है भै…"

Dr.Prachi Singh replied Sep 11, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-59

661 Sep 12, 2015
Reply by Ravi Shukla

"मनुज उठो अब... ( एक गीत) मनुज उठो अब समय शिला पर इक स्वर्णिम युग अंकित कर दें मानवत…"

Dr.Prachi Singh replied Sep 11, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-59

661 Sep 12, 2015
Reply by Ravi Shukla

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Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
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yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
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