For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ताज़ा गर दिल टूटा है तो वक़्त ज़रा दीजै (४७ )

ताज़ा गर दिल टूटा है तो वक़्त ज़रा दीजै 
क़ायम रखना रिश्ता है तो वक़्त ज़रा दीजै 
**
सिर्फ़ शनासाई से होता प्यार कहाँ मुमकिन 
इश्क़ मुक़म्मल करना है तो वक़्त ज़रा दीजै 
**
पहले के दिल के ज़ख़्मों का भरना है बाक़ी 
ज़ख़्म नया गर देना है तो वक़्त ज़रा दीजै 
**
ख़्वाब कभी क्या बुनने से ही होता है कामिल 
पूरा करना सपना है तो वक़्त ज़रा दीजै 
**
जल्दी के सब काम हमेशा शैताँ के होते 
इन्सां बनकर रहना है तो वक़्त ज़रा दीजै 
**
काम तमाम तरह के शायद ही पीछा छोड़ें 
ख़ुद को ख़ुद से मिलना है तो वक़्त ज़रा दीजै 
**
सार-सँभाल बिना मर जाते बच्चे हों या पौध 
इनको रखना ज़िंदा है तो वक़्त ज़रा दीजै 
**
यार ख़ुमार-ए-इश्क़ उतरता धीरे धीरे ही 
और बुख़ार ज़ियादा है तो वक़्त जरा दीजै 
**
दीद 'तुरंत' नदी की करलें उतरें मत उसमें
गहराई में जाना है तो वक़्त ज़रा दीजै 
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत 'बीकानेरी
१२ /०६/२०१९

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 329

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 23, 2019 at 12:30pm

Rakshita Singh जी रचना की सराहना के लिए सादर आभार एवं नमन | 

Comment by रक्षिता सिंह on June 22, 2019 at 11:20pm

आदरणीय गिरधारी जी नमस्कार, 


काम तमाम तरह के शायद ही पीछा छोड़ें 
ख़ुद को ख़ुद से मिलना है तो वक़्त ज़रा दीजै । 

बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ बहुत बहुत बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
2 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
5 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
5 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service