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तू ही रे.....तू ही रे.....

मेरे दिल मे है समाया,

तू ही रे....

तुझे दिल मे है बसाया,

तू ही रे....

1}एक तू ही तो दुआ थी,एक तू ही थी मंज़िल,
तुझसे शुरू मेरी राहें, मेरा हर पल तुझमे शामिल,
इतना बेसूध हुआ मैं, पाने को प्यार तेरा,
तेरी रज़ा तेरी कुरबत,बस इंतेज़ार है तेरा.
तू ही रे.....तू ही रे.....

.

जादू था तेरी नज़र मे, हुआ पागल मैं दीवाना,
तेरी मदहोश सी अदा ने, किया दिल को आशिकाना,
बंदिशों की है ना परवाह, ना ज़ोर है कोई दिल मे,
तू नही तो कुछ भी नही है,तन्हा हू भारी महफ़िल मे.
तू ही रे.....तू ही रे.....

जब खुश्बू तेरी आए, रहे ना होश मुझको,
जब यादें तेरी सताए, ये क्या हुआ है मुझको,
आ पास मेरे तू आजा, क्यू जुदा है तू मुझसे,
बाहों मे मेरी समाजा,क्यू खफा है तू मुझसे.
तू ही रे.....तू ही रे.....

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by M Vijish kumar on June 15, 2016 at 1:44pm
आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी
मेरी हिन्दी थोड़ी कमज़ोर है, पर ज़रूर जानकारी लिया करूँगा

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 13, 2016 at 4:57pm

बहुत सुन्दर ! वाह ! इस भाव, भावना और उत्फुल्लता को शाब्दिक करती प्रस्तुति केलिए हार्दिक धन्यवाद. 

भाई विकास जी, इसी संदर्भ में आपसे निवेदन है कि गीत के विभिन्न पक्षों पर जानकारियाँ लेनी शुरु कीजिए. देखिये, एक गीत कब महज़ गाना भर रह जाता है. तथा, गाना और गीत में बहुत अंतर है.

आप एक समृद्ध मंच पर हैं जहाँ से आपको इशारे मिल सकते हैं. 

शुभेच्चाएँ 

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