For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नमस्कार अहबाब, मेरा सुझाव ये है तरही मुशायरे में ग़ज़लों की संख्या १ (या २) की जानी चाहिए. मैं समझता हूँ कि ग़ज़लों की संख्या बढाने के लिए ये नियम रखा गया होगा. लेकिन मेरी नज़र में ये नियम नए लिखने वालों की आदत बिगाड़ रहा है. वो २-३ दिन में ३ ग़ज़लें कह रहे हैं. ये उनके तख़य्युल के लिए ख़तरनाक है.क्योंकि वो ग़ज़ल पूरी करने के चक्कर में ऐसा वैसा कुछ भी मौज़ू ग़ज़ल में ढाल देते हैं. आखिर ग़ज़ल कहने का मामला है, तंदूर पर रोटियाँ सेंकने का नहीं. मेरे ख़याल में ग़ज़लें १ या २ ही अधिकतम होनी चाहिए....... 

Views: 2333

Replies to This Discussion

:-))))

वीनस बाबू यहाँ मैं आपकी बात से सहमत नहीं, ओबीओ पर किसी भी मुशायरे में ३ ग़ज़लें जिस किसी ने भी कही हैं वह ग़ज़ल दर ग़ज़ल गुणवत्ता खोता ही चला गया.

आदरणीय,
विस्तृत विचारधारा पर आपकी बात से सहमत हूँ परन्तु विस्तृत विवेचना करें तो यह भी मिलेगा कि पहली दूसरी ग़ज़ल हल्की हो और तीसरी ग़ज़ल ने चौंकाया हो ...

चौंकाया हो या कि पकाया हो ?? :))))
(कुछेक अपवादों को छोड़कर)

Yograj ji. ye sanbhavik hai. maiN pahle bhi kah chuka huN ki 30 kaafiye to ustaadoN ke liye bhi sar dard ho jaate haiN.... aur agar wo unhiN kawaafi ko baar baar istemaal karenge to gunvatta kahaN se aayegi

मैं आपकी बात से सौ फ़ीसदी सहमत हूँ विपुल कुमार जी. थोक के भाव में शेअर कहने से सब से बड़ी केजुएलिटी तखय्युल की ही होती है.

तेच्निकलितिएस  माने टेक्निकलिटीज ?  है न ?

jii haaN. sorry :))))

wo transliterate nahiN karna tha lekin ho gaya

aap tamam ahbaab ne bahut khushgawaar guftaguu se ye samjhaya ki ye niyam shayad yahaN ke liye sahi hai. isse mere ilm meN izaafa hua k ye manch naye sikhne wale logoN ko dhyan meN rakhkar banaya gaya hai so ye niyam sahi hai apni jagah...... 

maiN aap sabhi ka aabhar prakat karta huN.. is discussion ke bina shayad maiN is niyam ka uddeshay kabhi na samajh paata. mere zehn ko kholne ke liye shukriya. ab admins chaheN to is forum/topic ko band kar sakte haiN. dhanyawaad

और हाँ, बहर-ओ-वजन के इलावा ओबीओ पर कमसिन मेम्बरान को उम्रदराज लोगों से अंदाज़-ए-गुफ्तगू की तमीज सीखने की भी तबक्को की जाती है. आखिर ग़ज़ल या शायरी ही तो ज़िन्दगी का वाहिद मकसद नहीं है न ?.   

muafi chahta huN Yograj ji. kya aapka ishara meri janib hai. agar mujhse koii beadabi hui hai to betakalluf ishara kareN. maiN koshish karunga k mustaqabil meN aisi Galati na ho.....

आदरणीय योगराज भाईजी का इशारा आपकी ओर कत्तई नहीं है, विपुलकुमारजी.  आदरणीय एक सामान्य किन्तु इस मंच के लिहाज से एक तथ्यपरक बात कर रहे हैं. 

आज साहित्य क्षेत्र में जिस आचरण की सबसे अधिक कमी दीख रही है वह अनुजों का अग्रजों के प्रति आदर और सम्मान है, तो उसी तरह, अनुज भी अग्रजों द्वारा प्रतिष्ठा के नाम पर घिनौने अहंकार को झेलते हैं. इस रेसिप्रोकल मानसिक गन्दगी से सदस्यों को यह मंच भरसक दूर रहने की सलाह ही नहीं देता बल्कि इस लिहाज से एक सकारात्मक परिपाटी शुरू कर चुका है.

कहना न होगा, साहित्य-सेवा रचनाधर्मिता के अंतर्गत मात्र रचना-कर्म ही नहीं है. न ही यह केवल किसी एक अलहदे या किसी समूह का मनस-रंजन है. ज्ञान जब नम्रता से विलग हो जाय तो अहंकारी हो जाता है.  इस अहंकार और आत्मश्लाघा (अपनी प्रशंसा और प्रतिष्ठा के लिये किसी हद तक जाने की कुचेष्टा) का साहित्य-क्षेत्र बहुत बड़ी कीमत दे चुका है. और अभी दे रहा है. इन्हीं सारे नकारात्मक व्यवहारों से निजात पाने के लिये अपना मंच एक माहौल बनाने का प्रयास कर रहा है. जिसकी चर्चा आदरणीय योगराजभाई ने की है.

आप इस तरह के कोमेण्ट्स को कृपया अपने ऊपर न लिया करें. आप अभी नये हैं. बहुत कुछ स्वयं स्पष्ट होता जायेगा. आप इस मंच के उद्येश्य और तदनुरूप व्यवहार को जान लेंगे तो आपके सामने सारा कुछ खुलता जायेगा.  इस समय आपका इस मंच पर जुड़ना संतुष्टि कारक है.  आपका इस मंच की परिपाटियों से समरस हो आगे बने रहना हम सभी सदस्यों के लिये आह्लादकारी होगा.

सधन्यवाद

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
yesterday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Wednesday
Chetan Prakash commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"आदाब,  समर कबीर साहब ! ओ.बी.ओ की सालगिरह पर , आपकी ग़ज़ल-प्रस्तुति, आदरणीय ,  मंच के…"
Apr 10
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post कैसे खैर मनाएँ
"आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, प्रस्तूत रचना पर उत्साहवर्धन के लिये आपका बहुत-बहुत आभार। सादर "
Apr 9

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service