For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुहब्बत : करके भी न कर सके !

खु़दा मेरी दीवानगी का राज फा़श हो जाये
वो हैं मेरी ज़िन्दगी उन्हें एहसास हो जाये

सांसे उधर चलती है धड़कता है दिल मेरा
एक ऐसा दिल उनके भी पास हो जाये

हर मुलाकात के बाद रहे हसरत दीदार की
ऐसे मिले हम दूर वस्ल की प्यास हो जाये

तड़पता है दिल उनके लिये तन्हाई में कितना
बेताबी भरा जज़्बात उधर भी काश हो जाये

तश्नाकामी इस कदर रहे नामौजुदगी में उनकी
जैसे सूखी जमीं को सबनमी तलाश हो जाये

करे तफ़सीर कैसे दिल उल्फत का ब्यां उनसे
करके ख़्याल इतना सा और उदास हो जाये

जाने ये बैगानगी कब आशनाई में तब्दील होगी
कर दे जो कोई मदद ’’शरद’ सिपास हो जाये
सिपास ====आभार

सुबोध कुमार ’’शरद’

Views: 570

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Subodh kumar on September 24, 2010 at 7:59pm
धन्यबाद प्रीतम जी.. इस हौसला अफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया...
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on September 23, 2010 at 9:39pm
खु़दा मेरी दीवानगी का राज फा़श हो जाये
वो हैं मेरी ज़िन्दगी उन्हें एहसास हो जाये

सांसे उधर चलती है धड़कता है दिल मेरा
एक ऐसा दिल उनके भी पास हो जाये

shandaar rachna hai....ye lines mujhe bahut pasand aayi...ye lines abhi mere gmail status ki shobha badha rahi hai.....bahut bahut dhanybaad is khubsurat rachna ke liye
Comment by Subodh kumar on September 21, 2010 at 5:15pm
dhanyabaad chaturvedi jee..
Comment by Subodh kumar on September 21, 2010 at 5:14pm
dhanybaad bagi jee

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 21, 2010 at 8:31am
खु़दा मेरी दीवानगी का राज फा़श हो जाये
वो हैं मेरी ज़िन्दगी उन्हें एहसास हो जाये,
बहुत खूब सुबोध जी , बढ़िया कहे आप,
Comment by Subodh kumar on September 20, 2010 at 9:30pm
dhanyabaad raj jee...

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on September 20, 2010 at 9:06pm
तश्नाकामी इस कदर रहे नामौजुदगी में उनकी
जैसे सूखी जमीं को सबनमी तलाश हो जाये

बहुत बढ़िया|
Comment by राज लाली बटाला on September 20, 2010 at 8:16pm
khoob hai !! g
Comment by Subodh kumar on September 20, 2010 at 7:23pm
dhanybaad giri jee...
Comment by Rash Bihari Ravi on September 20, 2010 at 4:54pm
khubsurat

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
6 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
7 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
8 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
11 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
15 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
17 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service