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ग़मों का कारवां मेरे दामन से कब लिपट गया,
मौसम जो था सावन का नयनो में ठहर गया ,
खुद को बहुत समझाया मगर ये समझ न आया ,
वो वक़्त का मुसाफिर था चला गया तो चला गया

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Comment by UMASHANKER MISHRA on June 11, 2012 at 11:40pm

बेहेतरिन भाई योगेश

Comment by yogesh shivhare on June 8, 2012 at 11:09pm

आभार ममता जी ,

Comment by MAHIMA SHREE on June 8, 2012 at 11:04pm

वो वक़्त का मुसाफिर था चला गया तो चला गया

बहुत सुंदर अभिवयक्ति बधाई आपको

Comment by Rekha Joshi on June 8, 2012 at 8:46pm

योगेश जी ,सुंदर अभिव्यक्ति ,बधाई |

Comment by yogesh shivhare on June 8, 2012 at 6:54pm

dhanyawad ,koshish ki hai ...apka  sneh mila ...aabhar

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 8, 2012 at 6:06pm

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति. बधाई.

Comment by yogesh shivhare on June 8, 2012 at 5:49pm

 bahut bahut dhnanywad Albela bhai ji

Comment by Albela Khatri on June 8, 2012 at 5:31pm

waah waah

bahut khoob......badhaai ho Yogesh Shivhare ji..........

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