कवि सम्मेलन 
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 ट्रिन-ट्रिन 
 ''हेलो '' लेखक मंडी
 ''दो दर्जन कवि , दोपहर ११ बजे , राम नाथ हाल, बेहाल मंडी भेज दीजिए'' 
 ''दहाड़ी कितनी ?
 फिर दिमाग खराब हो गया तुम्हारा , दूसरे जिले से मंगवा लूँ ?मारे -मारे घूम रहे हैं। न इन्हें कोई सुनता , न छापता और न ही पढता। 
 '' फिर भी , कुछ तों देना ही होगा ''
 '' २ टाइम चाय, बिस्कुट., ''
 ''बस, और कुछ नही भूखे मर जायेंगे बेचारे ''
 ''अभी कौन जिन्दा है ''
 ''कुछ तों बढाइये , बाल बच्चे दार हैं , ''
 '' बहुत कहते हो तों साईकिल स्टैंडफ्री में। 
 ''काम नही चलेगा। वे नही मानेंगे . ''
 ''इतना बड़ा मंच भी तों फ्री में है , तरसते हैं लोग जिंदगी भर जिसके लिए '' 
 '' अपने लिए भी तों कुछ बचाना है। ''
 ''जी ''
 '' ठीक , अपना मेहनताना ले जाना। ''
 मौलिक / अप्रकाशित 
 
 प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
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