For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

व्यंग्य - महंगाई का निचोड़पन

महंगाई का सिर दर्द लोगों में खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। कोई दवा भी काम नहीं आ रही है और सरकार की अधमने उछल-कूद भी बेकार साबित हो रही है। एक समय दाल, भोजन की थाली से गायब हो गई। फिर बारी आई, प्याज की। प्याज ने तो इस तरह खून के आंसू रूलाए, जिसे न तो जनता भूल पाई है और न ही सरकार। जनता तो जैसे-तैसे प्याज के सदमे से उबर रही है, मगर सरकार, प्याज के दंभी रूख के कारण अभी भी विपक्ष के निशाने पर है। बेसुध महंगाई को चिंता ही नहीं कि सरकार से उसकी दुश्मनी, जनता पर कितनी भारी पड़ रही है ? सरकार के लिए तो महंगाई, डायन ही बन गई है। महंगाई इसलिए फिक्रमंद नहीं है कि कोई साथ चले न चले, किन्तु विपक्ष तो हमेशा साथ ही चलेगा। वह जनता के सीने पर खूब अठखेलियां खेल रही हैं और मुंह भी चिढ़ा रही हैं, जाओ मेरा जो बिगाड़ना है, बिगाड़ लो ? सरकार भी मुंह बांधे बैठी नजर आ रही है, क्योंकि महंगाई डायन की काली छाया उतरने का नाम नहीं ले रही है। जनता भी हलकान है, नजर उतारने के लिए नीबू माला की जुगत भिड़ाते तो उस पर भी महंगाई की नजर लग गई है ?


महंगाई का दंश यहीं नहीं थमा है, वह अब भी पूरी तरह ऐंठ रही है और यह जताने की कोशिश कर रही है कि उसकी बस चले तो वह सरकार की कुर्सी का पाया भी कमजोर कर दे। महंगाई के तेवर से सत्ता की कुर्सी हिली जरूर है और उसकी रहनुमाई से एक पक्ष में आस जगी है कि चलो, सियासत का रास्ता कुछ तो आसान हो रहा है ? कुर्सी की लड़ाई भी अजीब लगती है, क्योंकि महंगाई बढ़ने से एक पक्ष परेशान तथा हताश है तो दूसरा पक्ष, इस बात की खुशी मना रहा है कि महंगाई, आज नहीं तो कल सत्ता की चाबी जरूर साबित होगी। महंगाई भी सोच रही है कि चलो, इसी बहाने कुछ पूछ-परख तो हो रही है, नहीं तो लोग उसे ऐसे भूल जाते हैं, जैसे खुशियों के दौर में भगवान को ? चीजों के दाम आसमान पर होने के बाद भी महंगाई, डायन कहलाकर भी इतरा रही है और सोच रही है कि नाम सुनकर ही लोगों के माथे पर पसीना आ जा रहा है।


महंगाई की मार इतनी पड़ी कि क्या ठंड और क्या गर्मी ? सब दिन एक बराबर होकर रह गया है, क्योंकि कड़कड़ाती ठंड के बाद भी जैसे ही महंगाई का नाम आता है, जेब की गर्मी भी शांत पड़ जाती है। जेब का जितना भी मुंह खोलो, महंगाई के आगे कम पड़ ही जाता है। ऐसा लगता है कि जैसे महंगाई का मुंह सुरसा की तरह बढ़ रहा है और यही हाल रहा तो डायनासोर का मुंह भी छोटा रह जाएगा। ठंड के बाद अब गर्मी शुरू हो गई है, फिर भी महंगाई की बेरूखी व गरमाहट जारी है। मौसमी और महंगाई की गर्मी से जनता इस कदर पस्त हो गई है, जहां एक सहारा नजर आता है, वह है नीबू। एक बात है कि नजर उतारने के लिए नीबू की माला लगाई जाती है, लेकिन महंगाई डायन पर नीबू का कोई असर नहीं हो रहा है। नीबू भी बेबस बनकर रह गया है और महंगाई भी नीबू की तरह जनता को निचोड़ रहा है। बेचारी जनता इस तरह मारी जाती है, जहां वह न इधर की होती है, न उधर की। महंगाई के कारण गरीब जनता, उंचे दाम पर बिकने वाली चीजों को केवल देख सकती है। निहारने की पूरी आजादी है, मगर खरीदने की नहीं, क्योंकि महंगाई के निचोड़पन से जनता पस्त हो गई है। इस तरह सुस्ती पर चुस्ती कैसे आएगी, मुझे तो समझ में नहीं आ रहा है... सरकार बता पाए तो उन्हीं से पूछिए ?


राजकुमार साहू
लेखक व्यंग्य लिखते हैं

जांजगीर, छत्तीसगढ़
मोबा - 098934-94714

Views: 227

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, नए अंदाज़ की ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।"
41 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके संकल्प और आपकी सहमति का स्वागत है, आदरणीय रवि भाईजी.  ओबीओ अपने पुराने वरिष्ठ सदस्यों की…"
43 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपका साहित्यिक नजरिया, आदरणीय नीलेश जी, अत्यंत उदार है. आपके संकल्प का मैं अनुमोदन करता हूँ. मैं…"
51 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"जी, आदरणीय अशोक भाईजी अशोभनीय नहीं, ऐसे संवादों के लिए घिनौना शब्द सही होगा. "
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सुशील सरना जी, इन दोहों के लिए हार्दिक बधाई.  आपने इश्क के दरिया में जोरदार छलांग लगायी…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"माननीय मंच एवं आदरणीय टीम प्रबंधन आदाब।  विगत तरही मुशायरा के दूसरे दिन निजी कारणों से यद्यपि…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा षष्ठक. . . . आतंक
"आप पहले दोहे के विषम चरण को दुरुस्त कर लें, आदरणीय सुशील सरना जी.   "
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आप वस्तुतः एक बहुत ही साहसी कथाकार हैं, आ० उस्मानी जी. "
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आदरणीया विभा रानी जी, प्रस्तुति में पंक्चुएशन को और साधा जाना चाहिए था. इस कारण संप्रेषणीयता तनिक…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"सादर नमस्कार आदरणीय सर जी। हमारा सौभाग्य है कि आप गोष्ठी में उपस्थित हो कर हमें समय दे सके। रचना…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रस्तुति नम कर गयी. रक्तपिपासु या हैवान या राक्षस कोई अन्य प्रजाति के नहीं…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"घटनाक्रम तनिक खिंचा हुआ प्रतीत तो हो रहा है, लेकिन संवादों का प्रवाह रुचिकर है, आदरणीय शेख शहज़ाद…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service