212 212 212 212
रात जगता रहा दिन में सोता रहा
चाँद के ही सरीखे से होता रहा
बादलों की हुकूमत हुई चाँद पर
चाँद छुपकर अँधेरों में रोता रहा
उल्टे रस्ते ही जब मुझको भाने लगे
बारी बारी से अपनों को खोता रहा
रस्म मैंने निभायी नहीं है मगर
दिल में रिश्तों को अपने संजोता रहा
जो न मांगा मिला मुझको सौगात में
जिसको चाहा वो मुश्किल से होता रहा
मैंने अपने गले से लगाया जिसे
पीठ पर वो ही खंजर चुभोता रहा
अमित कुमार दुबे मौलिक व अप्रकाशित
Comment
जी सौरभ सर कोशिस करूंगा की आवृति बढ़ा सकूँ ... सादर
अपने विस्मरण का हार्दिक खेद है भाईजी.
फिर तो आप प्रस्तुतियों की आवृति बढ़ा दें .. :-))
शुभ-शुभ
आदरणीय सौरभ सर आपकी उपस्थिति मेरे लिए गर्व का विषय है । इसके पहले भी आप मेरी कुछ ग़ज़लों पर आ चुके हैं। आगे भी स्नेह बनाए रखिए ... प्रस्तुतियों को भी आपका इंतज़ार रहेगा । ग़ज़ल पर आने के लिए आपका सादर धन्यवाद ।
बहुत बहुत धन्यवाद आ0 vijay nikore जी
बहुत शुक्रिया आ0 जितेंद्र जी
शुक्रिया आ0 Sarwesh Kumar Mishra जी
आदरणीय Santlal Karun जी बहुत शुक्रिया आपका
आ0 गिरिराज भंडारी सिर बहुत बहुत धन्यवाद आपका
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online