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बलाये आसमानी में ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

1222       1222        1222     1222

 

कभी फूलों मे कलियों में, कभी झरनों के पानी में

मुझे महसूस तू होता, हवाओं की रवानी में

कभी बेकस की आहों में ,निगाहे बेबसी में भी 

कभी खोजा किया तुझको, किसी गमगीं कहानी में

मुदावा मेरी लग्ज़िश का, मेरी कोशिश का तू हासिल

मेरी मुस्कान में तू है, तू है दर्दे निहानी में 

खयालों मे तेरा कब्ज़ा, मेरी अनुभूति में तारी

मेरी हर गुफ़्तगू तुझसे, तू मेरी बेज़ुबानी में

तू पोशीदा, अयाँ भी तू ,दुआ भी तू, करम भी तू

तू रूहानी अक़ीदत है ,मेरी इस ज़िन्दगानी में

तू हाज़िर है, जो हर लम्हा खुली या बन्द आँखें हो

मै खुशियाँ ढूँढ लूंगा अब, बलाये आसमानी में 

******************************************************************************

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 28, 2013 at 6:17pm

आदरणीय राजेश भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका दिली शुक्रिया !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 28, 2013 at 6:16pm

आदरणीय नीलेश भाई , आपने गज़्ल को स्वीकारोक्ति दी , बहुत खुशी हुई !!!! आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!

आदरणीय , मेरे व्यक्तिगत रिकार्ड मे एहसास शब्द ही है , मै एहसास को 2121 मान कर हटा के अनुभूति कर दिया , आपका बहुत बहुत शुक्रिया , क्या एहसास को 221 किया जा सकता है ?

विशेष ----!!!!! आप कम से कम  मेरी रचना मे सलाह या गलती बताने मे कभी संकोच न करें !!!!!!

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on October 28, 2013 at 6:06pm

रचना बढ़िया है वाह वाह 

Comment by Saarthi Baidyanath on October 28, 2013 at 5:15pm

जानदार शुरुआत हुई है ग़ज़ल की आदरणीय ...हसीनतर 

कभी फूलों मे कलियों में, कभी झरनों के पानी में

मुझे महसूस तू होता, हवाओं की रवानी में

कभी बेकस की आहों में ,निगाहे बेबसी में भी 

कभी खोजा किया तुझको, किसी गमगीं कहानी में.........दिली दाद कबूल करें ...वाह :)

Comment by राजेश 'मृदु' on October 28, 2013 at 3:27pm

जय हो आदरणी, बहुत खूब लिखा है, एक सतत प्रवाह वाली इस गज़ल के लिए हार्दिक बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 28, 2013 at 1:25pm

आदरणीय श्याम भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका शुक्रिया !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 28, 2013 at 1:24pm

आदरणीय देवेन्द्र भाई , गज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका शुक्रिया !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 28, 2013 at 1:23pm

आदरणीय नीलेश भाई , आपने गज़्ल को स्वीकारोक्ति दी , बहुत खुशी हुई !!!! आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!

आदरणीय , मेरे व्यक्तिगत रिकार्ड मे एहसाह शब्द ही है , मै एहसाह को 2121 मान कर हटा के अनुभूति कर दिया , आपका बहुत बहुत शुक्रिया , क्या एहसास को 221 किया जा सकता है ?

विशेष ----!!!!! आप कम से कम  मेरी रचना मे सलाह या गलती बताने मे कभी संकोच न करें !!!!!!

Comment by Shyam Narain Verma on October 28, 2013 at 12:52pm
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………
Comment by Devendra Pandey on October 28, 2013 at 11:38am

Adarniya sir Ek Ek Sher Dhaardaar Lekhni se Susajjit hain 

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