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ग़र साथ नहीं तेरी किस्मतें...

 
यूँ तो उड़ सकता है कोई कागज़ का पुर्ज़ा भी
पैर ज़मीन पर पसारे,
कभी कभी भाग्य के सहारे,
लेकिन उड़ नहीं पाता वही कागज़,
ऊंचाई से भी
जो हो ना भाग्य का साथ |
 
किन्तु , हम उड़ा सकते हैं
उसी कागज़ की पतंग को
बाँध हिम्मत की कन्नी,
कहीं से भी
अपनी कोशिशों के सहारे |
 
ग़र साथ नहीं तेरी किस्मतें,
ना टूटने देना तेरी हिम्मतें |
ना छोड़ना तू साहस
हैं कोशिशें तेरी, तेरे साथ,
आज नहीं तो कल
लगेगी सफलता तेरे हाथ |

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Comment

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Comment by Veerendra Jain on January 20, 2011 at 3:34pm
Bahut bahut aabhar ..Ashish ji..
Comment by आशीष यादव on January 20, 2011 at 12:21pm
bahut khubsurat virender sir.
Comment by Veerendra Jain on January 16, 2011 at 11:11pm
Arun ji... Hardik aabhar... aapne rachna padhi aur saraahi....iske liye dhanywad....
Comment by Veerendra Jain on January 16, 2011 at 11:09pm
Navin bhaiya.... bahut bahut shukriya utsahwardhan karne ke liye..
Comment by Veerendra Jain on January 16, 2011 at 11:08pm
Julie ji.... darasal mujhe lagta hai ki jo baat sadharan shabdon me kahi jati hai wo samajh bhi jald aati hai aur dil tak bhi aasani se pahunchti hai..isliye ek choti si koshish ki hai maine... padhne aur saraahane ke liye bahut bahut dhanyawad...
Comment by Abhinav Arun on January 16, 2011 at 1:54pm
बहुत खूब वीरेन्द्र जी , बेहतरीन अभिव्यक्ति , बधाई !!!
Comment by Julie on January 15, 2011 at 5:47pm
Waah bahut hi gehri baat kahi aapne sadahran se shabdon mein... Khoob... aur Badhai is sunder rachna ke liye...!!
Comment by Veerendra Jain on January 15, 2011 at 12:22pm
Utsah wardhan ke liye bahut bahut aabhar... Ganesh ji...
Comment by Veerendra Jain on January 15, 2011 at 12:20pm
Raju ji...aapne mera utsah badhaya ..iske liye bahut bahut shukriya...
Comment by Veerendra Jain on January 15, 2011 at 12:19pm

Hausla afzai ke liye bahut bahut dhanyawad... vivekji...

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