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नेताओं देश शर्मसार है तुम पर

जवान होते ही हैं

शहीद होने के लिए

और नेता

वह तो शासक है

सोना उनका हक है

जवान जब गोली खा रहा होता है

नेता पार्टी कर रहे होते हैं

जवानों की चिता को

मुखाग्नि भी

राजनीति का अवसर देती है

उन्हें,

शहीदों की

माओं के चाक सीने पर भी

नमक छिड़कने से भी

बाज नही आते

विलाप, क्रंदन भी

अवसर हैं वोट की तिजारत के।

नेताओं

देश शर्मसार है तुम पर।

 

मीना पाठक
 
मौलिक/अप्रकाशित 

Views: 720

Comment

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Comment by Sushil.Joshi on October 24, 2013 at 6:34am

एक कटु सत्य को अभिव्यक्त करती इस रचना हेतु बधाई स्वीकारें आ0 मीना जी...

Comment by Meena Pathak on October 22, 2013 at 11:30am
बहुत बहुत आभार प्रिय गीतिका
Comment by Meena Pathak on October 22, 2013 at 11:29am
आदरणीय बृजेश जी सादर आभार | नमन
Comment by Meena Pathak on October 22, 2013 at 11:28am
बहुत बहुत आभार आ० अनुराग जी
Comment by Meena Pathak on October 22, 2013 at 11:28am
बहुत बहुत आभार आ० अनुराग जी
Comment by Meena Pathak on October 22, 2013 at 11:27am
बहुत बहुत आभार आ० अन्नपूर्णा जी
Comment by वेदिका on October 22, 2013 at 10:07am

कटु प्रहार किया आपने

//मुखाग्नि भी

राजनीति का अवसर देती है// बधाई आपको आ0 मीना दीदी!

Comment by बृजेश नीरज on October 22, 2013 at 7:35am

बहुत सुन्दर रचना! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on October 21, 2013 at 11:40pm

भाव बहुत सुन्दर है बधाई स्वीकारें 

Comment by annapurna bajpai on October 21, 2013 at 6:53pm

आ0 मीना जी बहुत ही सुंदर भावभिव्यक्ति हुई है , बधाई स्वीकारें । 

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