For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पांच दोहे - लक्ष्मण लडीवाला

एकाकीपन साँझ का, मन विचलित करजाय 
इस पड़ाव पर उम्र के , बनता कौन सहाय |

 
सुन्दर हर पल वह घडी,अनुपम सा उपहार 
साँस साँस की हर लड़ी,करती जैसे प्यार |

 

होठ छुअन अहसास ही, मुग्ध मुझे करजाय,

संयम त्यागा स्वपन में, चंचल मन भटकाय |

 

बहका बहका दिख रहा, खुद का ही व्यवहार

जैसे सब कुछ ख़त्म है, मन मेरा लाचार | 

 

मेरे जीवन में बसे, रूप  धरा  श्रृंगार,

पोर पोर में बह रही, बनी सतत रसधार |

 

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला

Views: 825

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 4, 2013 at 6:01pm

विद्वजनों की टिपण्णी, मन मेरा हर्षाय 

सुधर रही है लेखनी, विश्वास भरे जाय

हार्दिक आभार आपका डॉ प्राची सिंह जी | सादर   

Comment by coontee mukerji on July 4, 2013 at 5:56pm

बहुत सूंदर दोहे मन की एकाकी को भावनाओं में पिरोते हुए अतीत की स्मृतियों में खो जाने का भाव.

सादर

कुंती


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 4, 2013 at 5:48pm

बहुत सुन्दर दोहावली आ० लक्ष्मण प्रसाद लड़ीवाला जी 

हार्दिक बधाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 4, 2013 at 5:39pm

आपकी सापेक्ष टिपण्णी मन में आत्म विश्वास और मनोबल बढाने का काम करती है | ह्रदय से हार्दिक आभार

स्वीकारे आदरणीय श्री सौरभ पाण्डेय जी, सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 4, 2013 at 5:35pm

हार्दिक आभार श्री राम शिरोमणि जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 4, 2013 at 5:34pm

रविकर देते उचित ही, सम्यक  है यह मीत 

चिंता छोडू व्यर्थ की, बोधि जगत में जीत |

हार्दिक आभार भाई रविकर जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 4, 2013 at 5:30pm

आपके इन उत्कृष्ट दोहों के लिए सादर आभार आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी.. .

बहुत सुन्दर सुगढ सार्थक प्रस्तुति हुई है.

आपके इंगित स्पष्ट हैं.   बार-बार बधाई

सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 4, 2013 at 5:21pm

एक रचनाकार की रचनाए पढकर पकड़ करने के आपके स्वाभिविक गुण के लिए बधाई श्री नीरज मिश्रा जी 

रचना सुन्दर बता का मान देने के लिए हार्दिक आभार 

Comment by ram shiromani pathak on July 4, 2013 at 5:10pm

सुन्दर दोहे रचे है आदरणीय आपने//हार्दिक बधाई   

Comment by रविकर on July 4, 2013 at 5:07pm

पोती पोता पोत पे, पावें पार पयोधि |
चिंता छोड़ें व्यर्थ की, रखें भरोसा बोधि ||

आभार आदरणीय-

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service