For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिन रात सरकारी सिस्टम और तथाकथित भ्रष्टाचारियों को कोसते कोसते एक दिन कोसू राम भगवान् के घर को विदा हुए जी हाँ जिन्दगी भर ईमानदारी से जिए कोसू राम जी जैसे ही ऊपर पहुंचे, भीड़ लगी हुई थी चौंककर पूछा ये क्या हो रहा है !! आवाज आई पंक्ति में खड़े हो जाओ फिर बताते हैं, कोसू राम जी पंक्ति में खड़े हो गए आगे वाले सज्जन ने बताया वो दरवाजे देख रहे हो उनसे हमें पंक्तिबद्ध अन्दर जाना है शुक्रिया अदा कर कोसूराम जी सोचने लगे, चलिए आज कुछ तो अच्छा हुआ यहाँ कुछ तो ईमानदारी है अपना नंबर आ ही जायेगा । थोड़ी देर के बाद उन्होंने देखा एंट्री के दो दरवाजे हैं फिर पूछा ये क्या है यार , हम सब तो यहाँ ईमानदार आदमी हैं फिर ये दूसरी एंट्री का क्या माजरा है , आगे वाला फिर बोला पूरे ईमानदार या ईमानदार !अब ये क्या चक्कर है !!कोसूराम जी ने झल्ला के पूछा , अब हमें ये कौन बताएगा की कौन ईमानदार और कौन पूरा ईमानदार ?? यहाँ भी परेशां कोसूराम जी की नज़र थोड़ी देर खड़े रहने के बाद एक जाने पहचाने चेहरे पर पड़ी , ये वही था जिसे वो दिन रात कोसते थे नगरपालिका में बाबू था , इस काम के दस हुए , इस काम के पचास लेकिन ये क्या इस पंक्ति में भी आज वो आगे था उसके बाद तो फिर क्या था कोसूराम जी बोल पड़े , एक पंक्ति और बनानी चाहिए बेईमानों के लिए । आदमी ने फिर याद दिलाया के यहाँ तो सारे ईमानदार हैं । कोसूराम सोचने लगे तो फिर ये बेईमान यहाँ कैसे । कोसूराम जी का दिमाग खराब हो गया उनसे रहा न गया और कौतूहल वश पंक्ति से परे जा के पूछ ही लिया, आप यहाँ कैसे ! ईमानदारों की पंक्ति में , बाबू बोला कुछ काले लोग यहाँ भी मिल गए मामला फिट हो गया । कोसूराम जी ने फिर पूछा फिर भी दो में से आपकी कौन सी एंट्री होगी ? सरकारी दफ्तर का बाबू बोला जो पहले भर जाए वो पूरा ईमानदार वाला दरवाजा और जो बाद में वो महज ईमानदार और आपका नंबर तो ईमानदार वाले में ही आ पायेगा क्यूंकि आप बेईमानी कर के आगे नहीं आ सकते हैं । इतना कह मुस्कुरा दिया और खटिया में पड़े कोसूराम जी भयभीत हो जाग उठे उस सपने की नींद से

Views: 319

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr.Ajay Khare on December 14, 2012 at 11:40am

sandeep ji prasng ko sabdo me pirona aapko achhi tarah se aata he badhai ke hakdaar he sweekare

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय नीलेश जी "समझ कम" ऐसा न कहें आप से साहित्यकारों से सदैव ही कुछ न कुछ सीखने को मिल…"
13 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय गिरिराज जी सदैव आपके स्नेह और उत्साहवर्धन को पाकर मन प्रसन्न होता है। आप बड़ो से मैं पूर्णतया…"
14 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना की विस्तृत समीक्षा के लिए आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार व्यक्त करता हूँ।…"
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. बृजेश जी मुझे गीतों की समझ कम है इसलिए मेरी टिप्पणी को अन्यथा न लीजियेगा.कृष्ण से पहले भी…"
18 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. रवि जी ,मिसरा यूँ पढ़ें .सुन ऐ रावण! तेरा बचना है मुश्किल.. अलिफ़ वस्ल से काम हो…"
18 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. रवि जी,ग़ज़ल तक आने और उत्साह वर्धन का धन्यवाद ..ऐ पर आपसे सहमत हूँ ..कुछ सोचता हूँ…"
19 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"अनुज बृजेश , प्रेम - बिछोह के दर्द  केंदित बढ़िया गीत रचना हुई है , हार्दिक बधाई आदरणीय…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय रवि भाई  ग़ज़ल पर उपस्थिति  हो  उत्साह वर्धन  करने के लिए आपका…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश ,  ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभार , मेरी कोशिश हिन्दी शब्दों की उपयोग करने की…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय अजय भाई ,  ग़ज़ल पर उपस्थिति हो  उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आ. नीलेश भाई ग़ज़ल पर उपस्थिति और उत्साह वर्धन के लिए आपका आभार "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service