For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फुरसत

शहर की  मशहूर सी उस गली के दोनों किनारों पर बने घरों में रोशनी करने के लिए बिजली  के तार एक दूसरे से उलझे हुवे एक घर से दूसरे घर में, दुसरे घर से तीसरे घर में और इसी तरह  गली के सारे घरों से जुड़े हुवे थे. बिजली के इन तारों में उलझ कर एक दिन एक बंदर की मौत हो गयी. गली में बने सभी घरों में रहने वाले लोगों को बंदर की मौत से लगने वाले पाप से छुटकारा पाने की चिंता हो गयी.  गली के सभी बाशिंदओं ने आपस में रायशुमारी करने के बाद बन्दर की अंतिम यात्रा निकलने का निर्णय लिया.  बंदर की अंतिम यात्रा निकलने की तैयारी हुई. अपनी सामर्थ्य के अनुसार सबने इस यात्रा के लिए योगदान दिया - किसी ने पैसों से, किसी ने कपड़े दान किये, किसी ने अंतिम यात्रा में लुटाने के लिए खील बताशे, किसी ने कुछ तो किसी ने कुछ जुटाया.

बजे गाजे के साथ बंदर की अंतिम यात्रा निकली.  रामजी के सेवक की अंतिम यात्रा के लिए सभी अपनी अपनी श्रद्धा से शरीक हुए .  लेकिन उसी गली के मुंहाने पर सड़क के किनारे चिथड़ों में लिपटी, कई दिनों से भूखी और बीमार बूढी भिखारन की सुध लेने की किसी को फुरसत नहीं थी. 

Views: 405

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज लाली बटाला on April 14, 2012 at 2:52am

पंजाबी में एक शिअर लिखा था मैंने !! याद आ गया !!


माडा  था बंद , अभ 'बाबा'  है बनिया
मंदिर , मसजिद ते दरगाहों के करके !! 
धर्मों के नाम पर कुछ भी मुमकिन है हमारे देश में !! अच्छी लगी आपकी कहानी !! Neelam ji !
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 11, 2012 at 10:25pm

aadrniya nilam ji, sadar abhivadan. 

antim yatra bhi avashyak hai parantu budhi bhikarin ke prati samaj ko apna dayitv avashy nibhana tha. badhai. 

Comment by MAHIMA SHREE on April 11, 2012 at 3:56pm
नीलम जी नमस्कार ,
वाह बहुत खूब आपने छोटी सी कथा में बहुत बड़ी बात की और इंगित किया अपने स्वार्थ में इंसान किसी को भी भगवान बना दे और जैसा जवाहर सर ने कहा मानव धर्म का कई मोल नहीं है
Comment by AVINASH S BAGDE on April 11, 2012 at 3:04pm

हम सभी धर्म धर्म खूब चिल्लाते है पर वही पर मानव धर्म भूल जाते हैं...Jawahar lal ji bilkul sahi kaha apane......dil ko kchotati laghu-katha...Neelam ji bahut khoob.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 10, 2012 at 9:39pm
हम सभी धर्म धर्म खूब चिल्लाते है पर वही पर मानव धर्म भूल जाते हैं.
गागर में सागर! नीलम जी, अच्छी प्रस्तुति के लिए बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
8 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
12 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
13 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service