For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

छन्न पकैया-छन्न पकैया, जीवन तेरा- मेरा.
रोज डूबता सूरज इसमे, होता रोज सबेरा.
**
छन्न पकैया-छन्न पकैया, सांसें आती-जाती.
चलने का मतलब है जीवन,रुकना मौत कहाती.
**
छन्न पकैया-छन्न पकैया, सुख ही दुःख का कारण.
इस धरती पर कोई घटना , होती नही अकारण.
**
छन्न पकैया-छन्न पकैया, कह गए ज्ञानी-ध्यानी.
अपना ही गुण-धर्म निभाते, हवा,आग और पानी.
**
छन्न पकैया-छन्न पकैया, धर्म वही है सच्चा.
जिसे जानता वसुंधरा का, साधो, बच्चा-बच्चा.
** ** **
अविनाश बागडे.

Views: 414

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by AVINASH S BAGDE on February 15, 2012 at 10:50am

aabhar..Raj Lally Sharma ji.

Comment by राज लाली बटाला on February 7, 2012 at 10:19pm

छन्न पकैया-छन्न पकैया, सुख ही दुःख का कारण. 
इस धरती पर कोई घटना , होती नही अकारण.  !!

क्या बात है
यह छन्न तो दिल को भा जा !! खूब AVINASH S BAGDE ji

Comment by AVINASH S BAGDE on February 7, 2012 at 10:13am

aabhar Ashutosh ji.

Comment by AVINASH S BAGDE on February 7, 2012 at 10:12am

सौरभ जी, आपके द्वारा मेरी रचना के भावों के सम्मान में खर्च किया गया एक-एक शब्द मानो मेरे लिये मोती से बढ़ कर है.यहीं ओ. बी. ओ. से जुड़ने की सार्थकता अपने -आप सिद्ध होती है.....नमन.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 7, 2012 at 7:04am

मात्र पाँच बंद और जीवन के शाश्वत का सान्द्र सत्त सापेक्ष है ! प्रत्येक बंद बानग़ी है गहन अध्ययन, पारखी दृष्टि और सटीक संप्रेषण की. 

रोज डूबता सूरज इसमें, होता रोज सवेरा.. इस धरती पर कोई घटना , होती नही अकारण. ..  या फिर,  अपना ही गुण-धर्म निभाते, हवा,आग और पानी..  इन पंक्तियों से निकलते भाव और संदेश जिस आसानी से हृदय की गहराइयों में बसते चले जाते हैं यह कवि के रचना-कर्म की प्रौढ़ता के कारण ही संभव है.

साहित्य-साधना के क्रम में एक और आयाम आध्यात्म का हुआ करता है. यह आयाम किसी रचनाकार के विचारों को स्पष्ट, उद्येश्यपरक तथा व्यापक बनाता है.  प्रस्तुत छंद का आखिरी बंद तो हर उस सतही किन्तु प्रभावी संशय की जैसे खिल्ली ही उड़ाता दीख रहा है जिसके अंतर्गत कतिपय वर्ग द्वारा ’प्रकृति को धारने के उच्च मानकों’ को उथला सा नाम दे कर बदनाम करने का और एक समृद्ध वैचारिकता को नकारने का वर्षों से एक घिनौना षड्यंत्र चलाया जा रहा है.

छन्न-पकैया की ज़मीन पर जिस सहजता से आदरणीय अविनाश भाई जी ने तथ्य रखें हैं वे अभिभूत तो करते ही हैं, हमारे सामने अनुकरणयोग्य सफल उदाहरण भी रखते हैं.  इसमें तनिक संशय नहीं कि भाई अविनाश जी की वैचारिक संपन्नता इस मंच के लिये थाती है...

सादर बधाइयाँ.

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
7 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
10 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
24 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
25 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
11 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
12 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। पंचकल त्रिकल के प्रयोग…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई के साथ-साथ धन्यवाद भी। कि, इस पटल पर, इस खुले आयोजन…"
13 hours ago
Chetan Prakash commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"वाकई  खूबसूरत शुद्ध हिन्दी गजल हुई, आदरणीय! "कर्म हम रणछोड  के अनुसार भी करते…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीया रक्षिता जी,  आपकी इस कविता में प्रदता शीर्षक की भावना निस्संदेह उभर कर आयी…"
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service