For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल :- उसके होने के ही एहसास में जाकर देखो

 
 
ग़ज़ल :-  उसके होने के ही एहसास में जाकर देखो
 
उसके होने के ही एहसास में जाकर देखो ,
किसी रोते हुए बच्चे को हंसाकर देखो |
 
नेक नीयत हो तो नालों में असर होता है ,
मेरी आवाज़ में आवाज़ मिलाकर देखो |
 
तर्क की आंच कई रिश्ते जला देती है ,
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटाकर देखो |
 
फूल पत्ते भी अघाते हैं दुआ देते हैं ,
घर के आँगन में कोई पौध लगाकर देखो |
 
दस्यु भी संत बना करते हैं इस धरती पे ,
अपने भीतर ही तुम बुद्धत्व जगाकर देखो |
 
सोच ही आदमी को गाँधी बना देती है ,
क्या ज़रूरी है कि अफ्रीका में जाकर देखो |
 
आदमी आदमी का भेद ही मिट जाएगा ,
अपने अंतर में कबीरा को बिठाकर  कर देखो  |
 
                          - अभिनव अरुण {30102011}
 
 
 
 

Views: 619

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on December 9, 2011 at 6:06am
Abhaar Ashwani Ji.
Comment by ASHVANI KUMAR SHARMA on December 8, 2011 at 11:13pm

badhiya gazal ......badhaai 

Comment by Abhinav Arun on December 1, 2011 at 7:04am
shukriya Raj Sahab.
Comment by राज लाली बटाला on December 1, 2011 at 12:55am

उसके होने के ही एहसास में जाकर देखो ,

किसी रोते हुए बच्चे को हंसाकर देखो |वाह  अभिनव जी ~~सही कहा  आपने !!

Comment by Abhinav Arun on November 4, 2011 at 5:47am
sneh ke liye abhaar Avinash ji
Comment by AVINASH S BAGDE on November 2, 2011 at 8:59pm

BAHUT DARJEDAR RACHANA..Abhinav ji.

 

Comment by Abhinav Arun on October 31, 2011 at 11:55am

thanks ashish  ji for your valuable comments

Comment by आशीष यादव on October 30, 2011 at 8:57pm

aadarniy shri Arun Kumar Pandey 'Abhinav' ji, sada se hi maine aapki rachnao ko pasand kiya hai. aapki ye rachna bhi bahut achchhi lgi. kuchh wyastta ke karan mai mushayare me shamil nahi ho ska tha. lekin aapki ye rachna yaha padh kar mujhe bahut khushi hui. aapki lekhni ko naman.

Comment by Abhinav Arun on October 30, 2011 at 2:49pm

आभार वीनस जी सोचा था इस बार ग़ज़ल को आपसे ठीक करवा कर पोस्ट करूँगा पर संयोग नहीं बन पाया !! :-)) आपपे ये कार्य due  रहेगा अगली बार के लिए :-))

Comment by वीनस केसरी on October 30, 2011 at 2:14pm

सुन्दर ग़ज़ल है

खूब पसंद आई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
58 minutes ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service