क्रेडिट कार्ड
सपना दिखता हैं ,
पावर दिलाता हैं ,
खर्चे में तो तो पंख लगता हैं ,
ना हो पैसा फिर कम हो जाता हैं ,
लगे की दोस्तों में इज्जत बढ़ता हैं,
बिल जब आता हैं ,
पागल बनाता हैं ,
क्यों ली क्रेडिट कार्ड ,
समझ ना आता हैं ,
भाई ये इज्जत लेकर ही जाता हैं ,
.
.
बैंक ऋण
पहली पहली बार ये ,
झट पट मिल जाता हैं ,
क्यों की अन्दर की बात ,
समझ में ना आता हैं ,
पैसा जो मिला ,
उसका दूना ले जाता हैं ,
समझ तभी आता हैं ,
जब इंशान फस जाता हैं ,
नहीं दिया पैसा तो ,
गुंडा घर आता हैं ,
.
.
पर्सनल लोन
बैंको ने ताना बाना ,
यैसा बनाया हैं ,
आम नागरिक को ,
कैसे फ़साना हैं ,
रहे ये ख्याल ,
इससे बच जाना हैं ,
सपना हसाता यारा ,
हकीकत रुलाता हैं ,
Comment
dhanyavad ashish ji
guru ji ekdam sahi baat likha hai aapne. badhai ho.
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