For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

समृद्ध महिला - (लघुकथा )

आज कुन्ती के पाँव जमीन पर नही पड़ रहे थे | खुशी इतनी थी कि उसका मन भर-भर आ रहा था | अपने पति के प्रति अथाह आदर भाव और प्रेम तो पहले से ही था उसके हृदय में, आज वो कई गुना और बढ़ गया था | उसका दिल खुशी से धाड़-धाड़ धड़क रहा था खुशी की अधिकता के कारण वो काँप रही थी | किसी तरह वो तैयार हो कर आईने के सामने खड़ी हो कर खुद को निहारने लगी | हल्के गुलाबी रंग की रेशमी साड़ी में वो कितनी जंच रही थी जो इसी विशेष अवसर के लिए पति ने खरीद कर तैयार करवाई थी | स्टूल पर बैठ कर कुन्ती सिर पर पल्लू रख कर अपनी मांग में सिन्दूर भरती है और खुद को निहारते हुए सोचने लगती है कि आज वो जिस मुकाम पर पहुँची है वो उसके पति के सहयोग से सम्भव हो सका है | उसे याद आता है कि माँ-पिता जी के विरोध के बाद भी पति ने कैसे-कैसे उन्हें समझा-बुझा कर मुझे कम्प्युटर की शिक्षा दिलाई थी | उसी शिक्षा की बदौलत उसे पुलिस विभाग में कम्प्युटर सिखाने की नौकरी मिल गई थी और प्रमोशन पाते-पाते वो आज क्राईमब्रान्च में थी | पति ने कदम-कदम पर एक गुरु और मित्र की भूमिका निभाई थी जिसकी वजह से आज उसे बेस्ट इम्प्लोयी का एवार्ड लेने एक सरकारी समारोह में जाना था | गाड़ी के हार्न की आवाज सुन के वो चौंक पड़ती है |
“ओह !! देर हो गई” बोल के वो जल्दी से बाहर आती है और गाड़ी में बैठ जाती हैं | ड्राइव करते हुए पतिदेव को मुस्कुराते देख कर कुन्ती पूछती है “क्या हुआ, आप मुस्कुरा क्यों रहे हैं ?
“तुम्हें देख कर” पति का जवाब सुन कर कुन्ती ने मुस्कुरा कर पूछा “वो क्यों ?” “इस उम्र में भी गज़ब ढा रही हो” पति की बात सुन कर कुन्ती थोड़ा शर्माते हुए बोली “आप भी ना, कोई मौका नही छोड़ते मुझे छेड़ने का” पतिदेव जोर से हँस पड़े | बातों-बातों में रास्ते का पता ही नही चला और वो समारोह स्थल तक पहुँच गये |
गाड़ी से उतरते ही कुछ लोग उनके पास आये और उन्हें सम्मान पूर्वक ले जा कर अगली पंक्ति में बैठा दिया गया |  थोड़ी देर बाद उसका नाम पुकारा गया, कुन्ती ने जा कर अपना सम्मान लिया तो उसे दो शब्द बोलने को कहा गया | कुन्ती सब का आभार प्रकट करने के बाद सामने पतिदेव को देखते हुए बोली कि”मैं दुनिया की सबसे खुशहाल और समृद्ध महिला हूँ क्यों कि मैंने पति के रूप में एक सच्चा मित्र और गुरु पाया है जिनके सहयोग और मार्गदर्शन से मै आज यहाँ तक पहुँची हूँ |” वो बोलती जा रही थी पर उसकी आवाज तालियों की गड़गड़ाहट में दब गई थी, दोनों की आँखों में एक दूसरे के प्रति गर्व के भाव और  खुशी  के आँसू थे |


मीना पाठक 
मौलिक/अप्रकाशित 

Views: 886

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Meena Pathak on February 3, 2014 at 12:49pm
लघुकथा सराहने और शिल्प की त्रुटियों के लिए मार्गदर्शन हेतु सादर आभार आदरणीय सौरभ सर ही

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 2, 2014 at 5:30pm

वैयक्तिक जीवन में इस तरह की आत्मीय परस्परता और समरसता जाने कहाँ गुम होती जा रही है. इस विन्दु को सार्थक ढंग से उठाने के लिए आप रचनाकार के तौर पर अतिशय बधाई की पात्र हैं.

ज़िन्दग़ी न सिर्फ़ धूप होती है न सिर्फ़ छाँव होती है. न इतनी एकांगी होती है, न उतनी मुखापेक्षी होती है.

कथा पढ़ कर बहुत अच्छा लगा.

वैसे शिल्पके हिसाब से मेहनत अवश्य कीजिये.

सादर

Comment by Meena Pathak on January 30, 2014 at 12:09pm

आदरणीया प्राची जी .... समझ नही आता है की क्या कहूँ ..मुझे पता है कि मेरे लेखन मे बहुत कमियाँ हैं फिर भी मेरे हर पोस्ट पर आप की उत्साहवर्धन करती  टिप्पणी मेरे मन को भिगो जातीं हैं ....आप का स्नेह हृदय तक पहुँचता हैं और .......................

हृदयतल से स्नेह सहित आभार स्वीकारें | सादर 

Comment by Meena Pathak on January 30, 2014 at 11:58am

बहुत बहुत आभार आदरणीय अरुन जी | सादर 

Comment by Meena Pathak on January 30, 2014 at 11:57am

आदरणीया वंदना जी कथा सराहने हेतु बहुत बहुत आभार स्वीकार कीजिये 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 30, 2014 at 11:18am

बहुत सुन्दर कहानी लिखी है आ० मीना जी ...

पतियों के सपोर्ट और सहयोग के बिना पत्नियाँ कैरियर में बहुत आगे नहीं बढ़ पातीं.. और ससुराल में पढाई लिखाई आगे बढ़ा पाना एक चुनौती ही हुआ करता है..    एक दुसरे के प्रति इस सहयोग को तहे दिल से मान देना, गर्व के साथ स्वीकारना भी जीवन का एक समृद्ध अनुभव ही होता है.

बहुत सुन्दर लगे ये भाव आपको बहुत बहुत बधाई इस कहानी पर... यदि इसे लघु कथा न कहें तो?

पुनः बधाई और शुभकामनाएं इस प्रस्तुति पर.

सस्नेह 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 30, 2014 at 10:55am

बहुत ही अच्छी कथा है आदरणीया यदि ऐसा ही भाव प्रत्येक पति पत्नी में समाहित हो जाए तो कल्याण हो जाए बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर कथा हेतु.

Comment by vandana on January 30, 2014 at 7:05am

बहुत सुन्दर आदरणीया मीना जी सार्थक सन्देश ....कभी २ सीढ़ियाँ चढ़ते हुए उस प्रगति में सहायक तत्व भुला दिए जाते हैं यहाँ दोनों पक्षों का सामंजस्य सराहनीय है 

Comment by Meena Pathak on January 29, 2014 at 3:31pm

आदरणीय डा० आशुतोष जी बहुत बहुत आभार ... सादर 

Comment by Meena Pathak on January 29, 2014 at 3:30pm

आदरणीय बृजेश जी .. आभार | सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service