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दिगंबर नासवा's Discussions (471)

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"दिवारें गिर रही हैं और छत की है बुरी हालत शहीदों का ये मंदिर है यहाँ अब कौन आता है..…"

दिगंबर नासवा replied Nov 23, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-५ (Closed now)

574 Nov 24, 2010
Reply by sanjiv verma 'salil'

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"शुक्रिया योग राज जी ... मैं तो जैसे जैसे आपके शेर पढ़ते जा रहा हूँ .. रोमांचित हो रह…"

दिगंबर नासवा replied Nov 23, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-५ (Closed now)

574 Nov 24, 2010
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"उसे देखा नहीं यों तो हक़ीक़त में कभी मैंने मगर ख़्वाबों में आकर वो मुझे अकसर सताता ह…"

दिगंबर नासवा replied Nov 23, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-५ (Closed now)

574 Nov 24, 2010
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"भला क्या उर्मिला का त्याग सीता जी से छोटा है? तो फिर तुलसी कसीदे क्यों सदा सीता के ग…"

दिगंबर नासवा replied Nov 23, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-५ (Closed now)

574 Nov 24, 2010
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"अगर अब भी न चेते देश को ये बेंच खायेगे इन्हें अपने लिए स्विस बैंक ही मंजूर होता होता…"

दिगंबर नासवा replied Nov 23, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-५ (Closed now)

574 Nov 24, 2010
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"कभी था मुल्क दीवाना "बिनाका गीतमाला" का, अभी उस देश को टीवी पे नंगापन सुहाता है ..…"

दिगंबर नासवा replied Nov 23, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-५ (Closed now)

574 Nov 24, 2010
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"नवीन जी ... बहुत ही कमाल के शेर निकले हैं आपने ... कोई भी विषय छोड़ा नही है ... हर उ…"

दिगंबर नासवा replied Nov 23, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-५ (Closed now)

574 Nov 24, 2010
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"बहुत शुक्रिया योग राज जी ... आपके भी इतने सारे लाजवाब शेरों को अभी तक पढ़े जा रहा हू…"

दिगंबर नासवा replied Nov 23, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-५ (Closed now)

574 Nov 24, 2010
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"ख़ुदा धरती को अपने नूर से जब जब सजाता है दिशाएँ गीत गाती हैं गगन ये मुस्कुराता है ख…"

दिगंबर नासवा replied Nov 23, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-५ (Closed now)

574 Nov 24, 2010
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
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अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
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अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
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अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
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