For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहे (एक प्रयास ) /अलका चंगा

छोटे मुँह की बात भी,ऊँची राह सुझाय ।
सीख कहीं से भी मिले, सीखो ध्यान लगाय ।।

औरन को अपना कहें , सुनते उनकी बात ।
अपनों की सुध है नहीं, उनसे करते घात।।

ऐसा नाम कमाइए, मन के खोले द्धार ।
अपनों की सुध लीजिये, बढे प्रेम व्यव्हार ।।

खुशियों की खामोशियां , खा जाती सुख चैन।
यादें ना हो साथ तो ,दिन बीते ना रैन ।।

.

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 514

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on September 20, 2016 at 4:20pm

रचना की सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय  सुरेश कुमार कल्याण  जी   

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 18, 2016 at 3:39pm
आदरणीया अल्का चंगा जी बहुत ही सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई प्रेषित है । सादर ।
Comment by अलका 'कृष्णांशी' on September 15, 2016 at 8:35pm

रचना की सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय  आदित्य जी   

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on September 15, 2016 at 8:33pm

आदरणीय  सौरभ जी ,प्रस्तुति पर आपकी उपस्थिति  और सुझाव के लिए हार्दिक अभिनन्दन।  आपके द्वारा रचना का १०% पर भी पास होना भी मेरे लिए बहुत बड़ी बात है।उचित मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद मैं पूरी कोशिश करुँगी  कि इस मंच से  कुछ सीख सकूँ । 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 15, 2016 at 6:05pm

दोहा छन्द में प्रस्तुत हुई  भाव-दशा को यदि प्रचलित भाषा में प्रस्तुत करने की कोशिश हुई होती तो संभवतः यह प्रस्तुति और अधिक प्रासंगिक होती. 

आदरणीया अलका जी, आपकी छन्दों को लेकर मात्रिक समझ विकसित हुई दिख रही है. आप अपनी भाषा को भक्ति-काल की भाषा-दशा के व्यामोह से बाहर निकालिये, आपकी प्रस्तुतियाँ अवश्य पठनीय हो उठेंगीं. 

सादर शुभेच्छाएँ. 

Comment by Aditya Kumar on September 15, 2016 at 5:31pm

बहुत सुन्दर रचना आदरणीया Alka Changa जी , बहुत बहुत शुभकामनायें।  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
16 minutes ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
yesterday
Shabla Arora updated their profile
yesterday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service