For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हमको खबर है कितने, हम बेखबर हो गए
अपने ही घर से कितने बाशिंदे बेघर हो गए

जब हम एक थे तो सारा शहर एक था
जो राहें हुईं अलग हमारी तो सब कुछ बंट गया
और अब तो आलम ये है कि ये सारा शहर दो खेमों में बंट चुका है
आधे इधर हो गए आधे उधर हो गए
अपने ही घर से कितने बाशिंदे बेघर हो गए-2

हर महफिल में सन्नाटा है हर शै सूनी हो गई है
मंज़िल खोती जाती है राहें दूनी हो गई हैं
सदमे में हर कोई यहॉँ सदमे में उधर भी हैं
लफ़्ज़ शोला उगलते हैं आँखें खूनी हो गई हैं

कि इक बहुत बड़े मुल्क के बीचों बीच एक बहुत ऊंची दीवार बन गई है
और दीवार के बीचों बीच एक दरवाजा बनाया गया है
उसी दरवाजे से कुछ सुस्त कदम गुज़रते हैं
हाँ तेज़ गति में कुछ सुस्त कदम गुज़रते हैं
कुछ इधर से उधर जाते हैं
कुछ उधर से इधर आते हैं

वो दरवाजा भी बङा शातिर मिजाज़ी लगता है
कमबख़्त बस इंसानों का रस्ता रोक रहा है
इंसानी रिश्तों की चाश्नी में ज़हर-सा घोल रहा है
पंछी-नदियाँ, पवन के झोंके तो
बेरोक टोक दीवार को लांघ हवा और पानी के रस्ते
खुशबुएं दो साझा कर रहे हैं
दो नहीं वो खुशबुएं एक ही हैं,बस सियासी सूरमाओं ने नफरत का विष घोला है हवाओं में
और हैरत नहीं कि ये विष दोनों तरफ बनता है

कोई मसला नहीं बङा कोई आसमान नहीं फटा,बात बड़ी छोटी लगती है
किसी मासूम ने मानचित्र बनाने में जैसे कर दी कोई गलती है
अफसोस यही बस दिल को कचोटे,यही दर्द चुभता है
इस छोटी गलती की ज़द में कितने बेज़र हो गए
अपने ही घर से कितने बाशिंदे बेघर हो गए-2

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 328

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashish Painuly on March 26, 2016 at 12:11pm
प्रतिक्रिया और प्रोत्साहन हेतु ह्रदय से आभार मोहित मिश्रा जी एवम् राजेश कुमारी जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 20, 2016 at 11:13am

इक छोटी  गलती  नहीं  कहेंगे इसको.. सोची समझी गलती हुई है खुदगर्ज सियासती चालों पर अच्छी प्रस्तुति दी है आपने हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
20 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
22 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service