For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेरे होंठों से जुदा जाम रहा हूँ लेकिन -- (ग़ज़ल) -- मिथिलेश वामनकर

2122 - 1122 - 1122 - 22 या 112

 

तेरे होंठों से जुदा जाम रहा हूँ लेकिन

रोजे-अव्वल से ही बदनाम रहा हूँ लेकिन

 

हक़ जताने से कभी हक़ नहीं होता साबित

फ़र्ज़ के साथ में इकराम रहा हूँ लेकिन

 

जिंदगी की तो कभी सुबह नहीं बन पाया

तेरी तनहाई भरी शाम रहा हूँ लेकिन

 

यूँ लताफत की हिमायत में खड़ा रहता हूँ

सत्य के वास्ते दुरदाम रहा हूँ लेकिन

 

मैं अहिल्या के लिए राम नहीं बन पाया

राधिका के लिए घनश्याम रहा हूँ लेकिन

 

तेरी यादों की सुखन में मैं रहा या न रहा

तेरी हर नज्म का पैगाम रहा हूँ लेकिन

 

आज के दौर की रफ़्तार से तो जुड़ न सका

हाँफते शह्र का आराम रहा हूँ लेकिन

 

 लताफत- नम्रता या विनय, दुरदाम- अविनेय हठी

------------------------------------------------------------
(मौलिक व अप्रकाशित)  © मिथिलेश वामनकर 
------------------------------------------------------------

Views: 674

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 25, 2015 at 4:01am

आदरणीय सौरभ सर, इस प्रयास पर आपका अनुमोदन आश्वस्त करता हुआ सा है. अभिभूत हूँ. आपका स्नेह पाकर सदैव प्रेरित होता हूँ. ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यवाद. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 19, 2015 at 10:11pm

आदरणीय मिथिलेशभाई, ग़ज़ल के अश’आर आपकी गहन सोच के प्रतिफल हैं. दिली दाद कुबूल कीजिये. 

आज के दौर की रफ़्तार से तो जुड़ न सका

हाँफते शह्र का आराम रहा हूँ लेकिन

कमाल ! कमाल !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 17, 2015 at 5:26pm

आदरणीया राहिला जी, ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार बहुत बहुत धन्यवाद सादर  

Comment by Rahila on November 17, 2015 at 4:55pm
बहुत शानदार ग़ज़ल हुई आदरणीय मिथलेश जी! जितनी तारीफ़ की जाय कम है ।बहुत बधाई आपको । सादर नमन ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 17, 2015 at 4:36pm

आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर , आपकी दाद मेरे लिए सदैव प्रेरणादायक होती है. ग़ज़ल की सराहना तथा उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 17, 2015 at 4:33pm

आदरणीय बड़े भाई धर्मेन्द्र जी, आपकी दाद पाकर दिल खुश हो गया. ग़ज़ल की सराहना तथा उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 17, 2015 at 4:33pm

आदरणीय बैजनाथ जी, ग़ज़ल पर  सराहना तथा उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 17, 2015 at 4:32pm

आदरणीय सुशील सरना सर, ग़ज़ल की  सराहना तथा उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 17, 2015 at 4:31pm

आदरणीय गिरिराज सर, ग़ज़ल पर आपका अनुमोदन पाकर आश्वस्त हुआ हूँ. सराहना तथा उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 17, 2015 at 4:31pm

आदरणीय रवि जी, आपकी दाद मेरे लिए बहुत मायने रखती है. सराहना तथा उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई महेन्द्र जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो की सलाह से यह और…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
4 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी, आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत है। 5 में प्रकाश की नहीं बल्कि उष्मा की बात है। दोनों…"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी। आप की मूल्यवान राय का स्वागत है।  2 मय और निश्तर पीड़ित हृदय के पुराने उपचार…"
5 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र कुमार जी नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
5 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी ।सादर अभिवादन स्वीकार कीजिए। अच्छी ग़ज़ल हेतु आपको हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,सादर अभिवादन स्वीकार कीजिए।  ग़ज़ल हेतु बधाई। कंटकों को छूने का.... यह…"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा यादव जी ।सादर नमस्कार।ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।गुणीजनों के इस्लाह से और निखर गई है।"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय euphonic amit जी आपको सादर प्रणाम। बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय त्रुटियों को इंगित करने व…"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका इतनी बारीक़ी से हर बात बताने समझाने कनलिये सुधार का प्रयास…"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय, अमित जी, आदाब आपने ग़ज़ल तक आकर जो प्रोत्साहन दिया, इसके लिए आपका आभारी हूँ ।// आज़माता…"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service