For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हिन्दी गज़ल - अब हृदय में आपका आना मना है ( गिरिराज भंडारी )

2122   2122   2122

आप रो देंगे बहुत संभावना है

अब हृदय में आपका आना मना है

 

अब क्षितिज पर फिर उजाला दिख सकेगा

यों, अँधेरा इस पहर काफी घना है

 

एक घर के दुख में सारा गाँव देखो

इस सिरे से उस सिरे तक अनमना है

 

रक्त से क्या रक्त धोया जा सकेगा ?

ज्यों कहावत कांटों को लेकर बना है

 

आज देही, देह खा जाये न अपना

सोच कर इस देह में उत्तेजना है

 

आप पिघलें तो बहें , रोकें न बहना

कोई ठहरा है , ये उसकी भावना है

 

कर्म का संकेत , कहता है अलग कुछ

वैसे मेरी आपको शुभ कामना है

 

अब अकेला मित्र मुझको छोड़ जाओ

आज मेरा मुझसे ही बस सामना है

**********************************
मौलिक एवँ अप्रकाशित

 

Views: 907

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 12, 2015 at 6:17pm

आदरणीय रवि भाई , आपकी स्नेहिल सराहना के लिये दिली शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 12, 2015 at 6:16pm

आदरणीय मिथिलेश भाई , गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 12, 2015 at 6:15pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 12, 2015 at 6:15pm

आदरणीय आनन्द सागर भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 12, 2015 at 6:14pm

आदरणीया तनुजा जी , गज़ल की सराहना के लिये आपका ह्र्दय से आभारी हूँ ।

Comment by shree suneel on August 12, 2015 at 6:00pm
आप पिघलें तो बहें , रोकें न बहना
कोई ठहरा है , ये उसकी भावना है... बहुत ख़ूब! बिल्कुल सही. .
आदरणीय गिरिराज सर जी, ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई आपको.
ऐक संदेह है आदरणीय 'मित्र' की मात्रा पे . त्र को २ माना गया है. जैसे पत्र-12, पात्र-22,त्रस्त - 21. ये इसी मंच के हिन्दी की कक्षा में वर्णित है.
फिर 'मात्रा' की मात्रा क्या होगी. कृपया मार्गदर्शन करें . सादर.
Comment by Sulabh Agnihotri on August 12, 2015 at 5:58pm

आदरणीय गिरिराज जी ! 

रवि शुक्ला जी की बात दुहरा रहा हूं -

शानदार ग़ज़ल दिली दाद कुबूल करें किसी एक शेर के लिये कुछ कहना ग़ज़ल के साथ ना इंसाफी होगी

पूरी ग़ज़ल ही शानदार प्रवाह के साथ कही गई है । मुबारक बाद कुबूल करें । सादर

Comment by narendrasinh chauhan on August 12, 2015 at 4:55pm

बेहेतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई

Comment by Ravi Shukla on August 12, 2015 at 12:40pm

आदरणीय गिरिराज जी

शानदार ग़ज़ल दिली दाद कुबूल करें किसी एक शेर के लिये कुछ कहना ग़ज़ल के साथ ना इंसाफी होगी

पूरी ग़ज़ल ही शानदार प्रवाह के साथ कही गई है । मुबारक बाद कुबूल करें । सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 12, 2015 at 12:38pm

आदरणीय गिरिराज सर बढ़िया ग़ज़ल हुई है. शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं 

कर्म का संकेत, कहता है अलग कुछ

वैसे मेरी आपको शुभ कामना है

बहुत शानदार शेर 

सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"किसी भोजपुरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्द्धन किया जाना मुझे अभिभूत कर रहा है। हार्दिक बधाई,…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service