For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

122 122 122 122

कभी कोई मु‍फलिस कहां बोलता है ।

जो बोले तो फिर आसमां बोलता है ।।

ज़माना नहीं, पासबां बोलता है ।

हुआ कौन उसका, मकां बोलता है ।।

अभी लोग  उठकर रवाना हुए हैं ।

ये चूल्‍हों से उठता धुआं बोलता है ।।

 

अगर आंच गैरत पे आये तो बोले ।

वगरना कहां बेजुबां बोलता है ।।

 

दिलासा नहीं काम दे दो मुझे तुम ।

यही बात बोले जहां बोलता है ।।

जमीं उसकी दहकान से छीन ली फिर ।

करो खुदकशी हुक्‍मरां बोलता है ।।

 

यहाँ  क्‍या रहा साथ क्‍या ले चले हम ।

कफन देख सूदों जियां बोलता है ।।

 

मजा मंजिलों में नहीं है मुसाफिर ।

सफर दर सफर कारवां बोलता है ।।

 

किताबों का हर फलसफा है किताबी ।

इबादत से  हासिल निशां बोलता है ।।

मौलिक एवं अप्रकाशित

आरणीय गुणीजन ये ग़ज़ल ओ बी ओ का सदस्‍य बनने से पूर्व कही थी अब ओ बी अो के विशाल सागर से अपनी सामर्थ्‍य भर ग्रगहण करने  के बाद इसे देखते है तो कई जगह इसमें मात्रा गिरा कर पढ़नी पड़ रही है । आप  कृपया सुधार हेतु मार्ग दर्शन दें और ये भी बताये कि क्‍या ये ग़ज़ल विधा की रचना कही जा सकती है

Views: 671

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ravi Shukla on August 5, 2015 at 4:01pm

आरणीय गिरिराज जी इसी उद्देश्‍य से ग़ज़ल पोस्‍ट की है जिससे कि हम अभ्‍यास के अंतर को समझ सके और संशोधन कर सकें

ओ बी ओ पर कुछ सीखने से पहले की रचना है ये  । आप सब के सुझाव अनुसार इसका परिमार्जन कर सकेंगे  यही आशा है ।

आपकी इस्‍लाह का सदैव स्‍वागत है आदरणीय ।

Comment by Ravi Shukla on August 5, 2015 at 3:56pm

आदरणीय हर्ष जी ग़ज़ल पसंद आई आपका आभार अनुग्रह बनाये रखें

Comment by Harash Mahajan on August 5, 2015 at 3:41pm

आदरणीय रवि शुक्ला जी शिल्प की दृष्टि से गुनिजन ही देख पायेंगे || मगर  उम्दा शब्दावली  के साथ अह्साओं का रंग  खूब दिया  है आपने इस बेहतरीन रचना में ---वैसे तो सारी  ग़ज़ल के शेर लाजवाब हुए हैं पर मुझे ये शेर बहुत पसंद आये हैं शुक्ल जी

कभी कोई मु‍फलिस कहां बोलता है ।

जो बोले तो सारा जहां बोलता है ।।.....कितना सच उगला है आपकी कलम ने.....हर जगह लागू होता है |...वाह

मजा मंजिलों में नहीं है मुसाफिर ।

सफर दर सफर कारवां बोलता है ।।..................आपकी तहरीर का एक और जो  मोती पिरोया है आपने ...बहुत ही खूब !!

ढेरों दाद !! वासूल पाइयेगा !!

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 5, 2015 at 2:38pm

आदरणीय रवि शुक्ला भाई , बेहतरीन गज़ल कही है आपने , अभी अशआर  लाजवाब हैं । ग़ज़ल के लिये आपको बधाइयाँ ।

अगर आंच गैरत पे आये तो बोले ।

वगरना कहां बेजुबां बोलता है ।।  लाजवाब !!

इन हाथों को मेरे कोई काम दे दो   -   बस ये मिसरा आपका बेबह्र है ,

चाहें तो ---  कोई काम हाथों को मेरे भी दे दो     -- ऐसा कर सकते हैं  या जो आपको सूझे कर लें

एक बात और - मतले में कहाँ और जहाँ  लेने से , आपका काफिया  अहाँ तय हो रहा है , बाक़ी शे र मे  केवल आँ निभाया गया है , उसे बदल लीजियेगा । नही तो बाक़ी शेर ख़ारिज हो रहे हैं ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service