For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कवि
----------------

आत्मावलोकन
-----------------

सभागार
खचा खच था भरा
कुछ सहमा सा
कुछ डरा डरा
खड़ा मैं किनारे धरे मौन
उसने
पूछा परिचय
मैं हूँ कौन ?

सकपकाया थर्राया
फिर तोडा मौन

तुम कौन ?
कभी अपने को जाना
नही समझोगे
व्यर्थ समझाना


मैं कवि हूँ अदना सा
नही हूँ डॉन


हकीकत
---------


भीतर घुसा
ढाढ़स कुछ पाया
अंधियारे में कुछ
समझ न आवा
मानव जीवन
बड़ा अनमोल
बेचारा कवि
बिकता बे मोल
दिग्गज कवि
भये मंचासीन
मौसमी कवि
सदा धरानसीन
शास्त्र , बंद ,
छन्द के बड़े प्रणेता
सगरे चम्मच
बस एक ही नेता
काव्य पाठ शुरू हुआ
था चेला जों गुरु हुआ
छंद बंद की बात तजी
बिन दूल्हा बारात सजी
कविता पढ़ी अतुकांत
बने बैठे कविता कान्त
देख हुआ बड़ा अचम्भा
नोचें सर या नोचें खम्भा

परिणति
----------

कवि हृदय चोटिल हुआ
देख कुटिल व्यवहार
बाँध पोटरिया राग की
छोड़ चला दरबार

इच्छा
-------
द्वार द्वार दुत्कार मिले
पड़े न गले में हार
ईश्वर तुमसे प्रार्थना
कवि जीवन मिले बारम्बार
मौलिक / अप्रकाशित
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा

Views: 462

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on July 16, 2015 at 10:06am

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी 

सादर अभिवादन

आपका स्नेह प्राप्त हुआ 

सादर आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 16, 2015 at 5:59am

आदरणीय प्रदीप भाई , कवि मन को खूब टटोला है आपने ,कविता के लिये आपको बधाई

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on July 15, 2015 at 9:38pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी

सादर अभिवादन

आपने हमेशा मेरा उत्साह बढ़ाया है , तहे दिल से शुक्रिया .  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 15, 2015 at 10:22am

काव्य पाठ शुरू हुआ 
था चेला जों गुरु हुआ 
छंद बंद की बात तजी
बिन दूल्हा बारात सजी 
कविता पढ़ी अतुकांत 
बने बैठे कविता कान्त 
देख हुआ बड़ा अचम्भा 
नोचें सर या नोचें खम्भा-----बहुत खूब बहुत खूब्ब आदरणीय क्या सार्थक  कटाक्ष  किया है यही  तो  हो भी रहा है 

एक कवि के व्यथित मन को क्या शब्दबद्ध किया है ...अतिसुन्दर प्रस्तुति ..दिल से बधाई लीजिये आ० प्रदीप कुमार सिंह जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
18 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service