For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक तरही ग़ज़ल: ज़िन्दगी ने पलट के पूछा है/कृष्णसिंह पेला

वक़्त ऐसे मुक़ाम पर लाया
आज हम से बिछड गया साया

चंद हालात ने जो समझाया
उस को अपनी जगह सही पाया

झूठ से जा मिली जुबाँ उसकी
आज पहली दफ़ा वो हकलाया

हमसफ़र की तलाश है सब को
और पा कर भी कोई पछताया

प्यार के नाम पर वहम केवल
उस के सारे वजूद पर छाया

तुम भी लगते बहुत परेशाँ हो
हम को भी ये जहाँ नहीं भाया

किन ख़यालों में फूल था गुमशुम
मैंने हौले छुआ तो इतराया

मुस्कुराहट में आब बाक़ी है
गाँव से वो नया नया आया ।

आदमीयत के इस परिंदे को
आदमी ने ही नोचकर खाया

ज़िन्दगी ने पलट के पूछा है
तू किसी की जफ़ा से मुरझाया ?

पाँव फैला रहा था साया तो
धूप को देखते ही शरमाया

चल, मगर रौंदते हुए मत चल
रास्ता आज मुझ पे झल्लाया

देखो, उसने महज़ दिखाने को
घर जलाकर सिगार सुलगाया

ख़्वाब बुनता रहा सफ़र में वो
आज मंज़िल को देख घबराया

नींद अश्कों में बह गयी मेरी
'वक़्त ने ऐसा गीत क्यों गाया'

(मौलिक एवं अप्रकाशित)
यह मिसरा ए तरह जनाब जावेद अख़्तर की ग़ज़ल(तुम को देखा तो ये ख़याल आया...)से लिया गया है ।
बह्र : खफीफ मुसद्दस मख्बून मक्तूअ
फाइलातुन मुफाइलुन फेलुन

Views: 1040

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Krishnasingh Pela on February 4, 2015 at 10:26pm
हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज भण्डारी साहब ! आपके दो शब्द मेरे लिए प्रेरणा के श्रोत हैं । सादर ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 3, 2015 at 6:37pm

मुस्कुराहट में आब बाक़ी है
गाँव से वो नया नया आया ।  -- लाजवाब शे र ! आदरणीय ग़ज़ल के लिये बधाई आपको ।

Comment by Krishnasingh Pela on February 3, 2015 at 7:41am
उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार आदरणीया वंदना जी !
Comment by vandana on February 3, 2015 at 7:27am


झूठ से जा मिली जुबाँ उसकी
आज पहली दफ़ा वो हकलाया

मुस्कुराहट में आब बाक़ी है
गाँव से वो नया नया आया ।

पाँव फैला रहा था साया तो
धूप को देखते ही शरमाया

वाह आदरणीय कमाल की ग़ज़ल 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 2, 2015 at 11:09pm

आदरणीय कृष्णसिंह पेला जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार 

Comment by Krishnasingh Pela on February 2, 2015 at 8:31pm
आदरणीय मिथिलेश जी सर्वप्रथम तो आप के लिए ढेर सारी बधाइयाँ कि OBO में आप महिने का सक्रिय सदस्य (AMOM)बनने में सफल हुए । बधाइ व्यक्त करने में विलम्ब हो गया इसके लिए क्षमायाचना करता हूँ । और यहाँ आपने ग़ज़ल की सराहना करके मुझे रचना के लिए उत्साहित किया है । हार्दिक आभार ।
Comment by Krishnasingh Pela on February 2, 2015 at 8:22pm
आदरणीय हरिप्रकाश जी ! आप ने रचना का रसास्वादन किया तो लगा जैसे प्रयास सार्थक हुआ । आभार !
Comment by Krishnasingh Pela on February 2, 2015 at 8:19pm
आदरणीय Dr. विजय शंकर जी ! आप की सराहना ने नयी उर्जा प्राप्त हुई है । सादर नमन ।
Comment by Krishnasingh Pela on February 2, 2015 at 8:15pm
रचना अनुमोदन के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय गुमनाम पिथौरागढी जी !

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 2, 2015 at 8:11pm

आदरणीय कृष्णसिंह पेला जी, पूरी ग़ज़ल बहुत सुन्दर है ,बहुत बहुत बधाई आपको .

गिरह का शेर भी उम्दा हुआ है 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
6 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
12 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
16 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
16 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
16 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
17 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service