For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नवगीत : साल गुजरे जा रहे हैं.

**साल गुजरे जा रहे हैं.

आ रहे पल, जा रहे पल

साल गुजरे जा रहे हैं.

 

वक़्त बन के पाहुना,

आ गया है द्वार पर.

साज सज्जा वाद्य धुन.

गूंज मंगलचार घर.

नवल वधु से कुछ लजा,

दिन सुनहरे आ रहे हैं.

साल गुजरे जा रहे हैं.

 

बोझ बढ़ता नित नया.

स्कूल का बस्ता हुआ,

दाम बढ़ते माल के,

आदमी सस्ता हुआ.

नाम सुरसा का सुना जब,

आमजन भय खा रहे है.

साल गुजरे जा रहे हैं.

 

सूर्य भटका घूमता,

वक़्त के दुष्चक्र में.

नापता है दूरियां,

चाँद भी किस फ़िक्र में.

पल्लवित, पीले हुए कुछ.

वस्त्र बदले जा रहे हैं.
साल गुजरे जा रहे हैं.

**हरिवल्लभ शर्मा 

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 650

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by harivallabh sharma on January 2, 2015 at 7:09pm

आदरणीय somesh kumar जी आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया का ह्रदय से आभार.

Comment by harivallabh sharma on January 2, 2015 at 7:07pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आपका कुशल मार्गदर्शन हमें उत्तरोत्तर प्रगतिपथ पर बढाता है..आपकी प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार. सादर.

Comment by harivallabh sharma on January 2, 2015 at 7:05pm

आदरणीय Hari Prakash Dubey जी आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया का ह्रदयतल से आभार.. 

Comment by harivallabh sharma on January 2, 2015 at 7:03pm

आदरणीय khursheed khairadi साहब आपका अनमोल स्नेह रचना को मिला..हार्दिक स्वागत एवं आभार आपका.

Comment by harivallabh sharma on January 2, 2015 at 7:02pm

आदरणीय Dr. Ashutosh Mishra जी आपकी स्नेहिल टीप का स्वागत..उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार..

Comment by harivallabh sharma on January 2, 2015 at 7:00pm

आदरणीय डॉ. गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी आपका स्नेह मार्गदर्शन मिला आपका हार्दिक आभार सादर 

Comment by harivallabh sharma on January 2, 2015 at 6:57pm

आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडिवाला जी आपकी प्रेरक टीप का स्वागत..उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार सादर.

Comment by harivallabh sharma on January 2, 2015 at 6:52pm

आदरणीय Ashok Kumar Raktale जी आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया से रचना धर्मिता को पुष्टि मिली है ..आपका हार्दिक आभार.

Comment by somesh kumar on January 2, 2015 at 12:04am

आ गए नववर्ष में उत्कर्ष कुछ करते हुए 

एक दुसरे के सान्निध्य में लिखते-पढ़ते हुए 

ज़िन्दगी गुज़र जाएगी युहीं सफ़र करते हुए 

नवगीत मोहक हो गए आपसे  रंग भरते हुए |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 1, 2015 at 9:24pm

आदरणीय हरि वल्लभ भाई , शानदार नवगीत पढ़वाने लिये आपका शुक्रिया और गीत जके लिये हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
14 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service