मैंने हिटलर को नहीं देखा
तुम्हें देखा है
तुम भी विस्तारवादी हो
अपनी सत्ता बचाए रखना चाहते हो
किसी भी कीमत पर
तुम बहुत अच्छे आदमी हो
नहीं, शायद थे
यह ‘है’ और ‘थे’ बहुत कष्ट देता है मुझे
अक्सर समझ नहीं पाता
कब ‘है’, ‘थे’ में बदल दिया जाना चाहिए
तुम अच्छे से कब कमतर हो गए
पता नहीं चला
एक दिन सुबह
पेड़ से आम टूटकर नीचे गिरे थे
तुम्हें अच्छा नहीं लगा
पतझड़ में पत्तों का गिरना
तुम्हें नहीं सुहाता
बीजों का अंकुरण
किसी तने में नए कल्ले फूटना
तुम्हें नहीं भाता
इस पूरी धरती को रौंदकर
तुम ऊसर बना देना चाहते हो
जिससे इस पर केवल तुम्हारे पद चिन्ह रहें
तुम सोचते हो
तुम अलग हो/ अनोखे
शायद कुछ अंग अधिक हैं तुम्हारे पास
कुछ किताबें ज्यादा बाँची हैं
अधिक है बुद्धि
अधिक पैनी है तुम्हारी सोच
कबीर से भी अधिक
लेकिन देखो
तुम्हारी कनपटी के बाल
धीरे-धीरे सफ़ेद हो रहे हैं
बदलाव किसी का इंतज़ार नहीं करते
ज्वालामुखी से जब लावा फूटता है न
तो सब कुछ भस्म हो जाता है;
सुनामी सबको निगल जाती है
हिटलर का साम्राज्य नेस्तनाबूत हो गया
तुम भी बच न सकोगे
समुद्र में तेज़ लहरें उठने लगी हैं
ज्वालामुखी धधक रहा है
एक नया बीज फिर अंकुरित होने वाला है
- बृजेश नीरज
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय गिरिराज जी, आपका हार्दिक आभार!
आदरणीय केवल भाई आपका हार्दिक आभार! आपके प्रोत्साहन से धैर्य बढ़ा है!
आदरणीय लक्ष्मण जी आपका हार्दिक आभार! आपके शब्दों ने कविता का मान बढाया है!
आदरनीय बृजेश भाई , अव्यवस्था के खिलाफ अंदर पनपते विद्रोह को आपने बहुत सरल शब्दों मे बयान किया है ॥ आपको कविता के ;लिये हार्दिक बधाई ॥
आ0 बृजेश भाईजी, प्रणाम! । बहुत ही सुन्दर पंक्तियां। इस नये बीज के अंकुरण होने से छाया और फल देने तक समय तो लगना ही है। हमें धैर्य रखना ही होगा। हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,
सुन्दर अभिव्यक्ति हुई है | यह भी एक सच्चाई है कि हर कोई अपने के अधिक बुद्धिमान समझता है | और जब असमर्थ/फ़ैल
हो जाता है तो अक्कल ठिकाने आती है | पर कुदरत का सुन्दर खेल देखो हर रात के बाद भोर होती है | पतझड़ के बाद फिर
नए पत्ते आते है | एक नया बीज फिर अंकुरित होता है | यही प्रगति का मार्ग है जो नियति सबको उपलब्ध कराती है |
सुन्दर रचना के लिए बधाई भाई बृजेश नीरज जी
आदरणीय अरुन भाई आपका हार्दिक आभार!
आदरणीय आशुतोष जी बहुत-बहुत आभार!
आदरणीय वीनस भाई आपका बहुत-बहुत आभार!
आदरणीय जितेन्द्र जी आपका हार्दिक आभार!
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