जयकारी/चोपई छंद (१५ मात्राओं के इस छंद में चरणान्त गुरु लघु से)
राष्ट्र सृजन में जिनका योग, उनको कहे पुरोधा लोग
जनता का मिलता सहयोग, खुशहाली का होता योग |
कानूनन जन हित का भान, सफल प्रशासक उसको मान
योग्य प्रशासक का सम्मान, तभी देश का हो उत्थान ||
जड़ चेतन का जिसको भान, उसमे ही आध्यात्मिक ज्ञान
परम पिता ने डाले प्राण, इसके मिलते बहुत प्रमाण |
जिसमे हो सेवा का भाव, मन में वह रखता सद्भाव
जिसमे भी जिज्ञासा जान, गुरुवर का वह करता मान ||
नदी के जब मिले दो छोर, विश्वासों की बढती डोर
प्राची में जब होती भोर, मन की बगिया भरे हिलोर |
श्रमिक नीव का पत्थर मान, तभी देश को हो उत्थान
सैनिक का जब हो सम्मान. देश सुरक्षित तब ही मान ||
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय लक्ष्मण भाई
एक देश भक्त की तरह अपनी कलम से सुंदर चौपई लिखी , हार्दिक बधाई
नदी के जब मिले दो छोर / / मिले नदी के जब दो छोर ...... प्रवाह में और गति आ जाती है
सादर्
आदरणीय लक्ष्मण सर इन चौपाइयों के लिये हार्दिक बधाई
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