For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कैसी शुष्कता है?

जो धूप में

बदन झुलसा रही..

भीतर इतनी आग

विरह की जो

केवल धुआँ

और धुआँ देती है

राख तक नसीब नहीं

जिसे रख दूँ संजो कर

तेरी हथेली पर

जब मिलन की बेला हो

और कहूँ कि....

यह पाया मैंने

तुझ बिन...!

     जितेन्द्र ' गीत '

( मौलिक व् अप्रकाशित )

 

Views: 1084

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 3, 2014 at 9:20pm

आपकी बधाई हृदयतल से स्वीकार है आदरणीय सौरभ जी, मैंने जो कुछ भी लिखा यहीं ओ बी ओ परिवार के सानिध्य में ही सीखा है आप सभी के स्नेह व् मार्गदर्शन से ही मेरी भावनाओं को शब्द मिले है.

सादर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 2, 2014 at 1:58am

क्या लिखने लगे हैं भाईजी !!...... 

दिल से बधाई.. .

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 30, 2014 at 11:48pm

आपने रचना के भावों को छुआ, आपकी संवेदनशीलता को नमन आदरणीय आशीष जी. स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 30, 2014 at 11:44pm

रचना पर आपके सराहनीय अनुमोदन से बहुत संबल मिला आदरणीया विन्दु बाबु जी, आपका बहुत बहुत आभार

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 30, 2014 at 11:37pm

आपकी उत्साहवर्धक सराहना से मुझे बहुत ख़ुशी व् लेखनकर्म को अति मनोबल मिला है आदरणीया डा.प्राची जी, आपका ह्रदय से आभार

सादर!

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on April 30, 2014 at 11:35pm

आह... खूबसूरत | संवेदनशील रचना.. हर किसी को अपनों की अहमियत समझनी चाहिए |

अच्छा सन्देश |

Comment by Vindu Babu on April 30, 2014 at 10:53pm

आदरणीय जितेन्द्र जी:

विरह की वेदना को अच्छे ढंग से उकेरा है अपने ।

आपको हार्दिक बधाई इस सघन अभिव्यक्ति के लिए।

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 30, 2014 at 10:08pm

विरह में व्याप्त सूनेपन और रह जाते खाली हाथों को बहुत मार्मिक शब्द मिले हैं 

इस भाव सान्द्र प्रस्तुति पर मेरी बधाई स्वीकारिये 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 28, 2014 at 12:29pm

आपकी बधाई सहर्ष स्वीकार है आदरणीया मीना दीदी, अपना स्नेहिल आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by Meena Pathak on April 28, 2014 at 10:59am

कम शब्दों में बहुत कुछ ......

बहुत बहुत बधाई ... स्नेहाशीष

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service